डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 के जंग में बांग्लादेश का जन्म हुआ था, जिसमें 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए थे. इस जंग की शुरुआत इसलिए हुई थी, क्योंकि पाकिस्तानी सेना तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में बहुत जुल्म कर रहा था. ऐसी स्थिति को देखते हुए पीएम इंदिरा गांधी ने बंगालियों को बचाने के लिए पड़ोसी मुल्क के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. एक बार फिर बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार ने पाकिस्तानी सरकार को 1971 की याद दिलाते हुए क्लास लगा दी.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने बीते मंगलवार को एक बयान में कहा कि हम पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं, लेकिन हम 1971 को नहीं भूल सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अच्छे रिश्तों के हक में हिम्मत दिखाना होगा और माफी मांगनी पड़ेगी. मोहम्मद तौहीद हुसैन ने पाकिस्तान से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमें रिश्तों को सुधारने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हम भी 1971 में हुए भयावह यादों को भुला नहीं सकते हैं.
हाल ही में 25 सितंबर को बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार (Interim Government) के प्रमुख मोहम्मद यूनुस (Mohammed Yunus) ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा के दौरान पाकिस्तानी (Pakistan) पीएम शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) से शिष्टाचार मुलाकात की थी. इस पर मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि उस मुलाकात का संबंध से कोई मतलब नहीं है. ऐसा नहीं है कि हम लोग 1971 की बातों को भूल चुके हैं.
बांग्लादेश ने लंबे समय से 1971 के लिए पाकिस्तान से माफी की मांग की हुई है और नरसंहार की अंतरराष्ट्रीय मान्यता पर जोर दिया है. पिछले 53 सालों में संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इस मुद्दे पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के आईटी मंत्री नाहिद इस्लाम का कहना है कि हम पाकिस्तान के साथ 1971 के मुद्दे को हल करना चाहते हैं. एक लोकतांत्रिक दक्षिण एशिया के लिए हमें एक दूसरे के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने की जरूरत है.
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