चंडीगढ़. हरियाणा चुनाव (haryana elections) नजदीक हैं, इससे पहले गुरमीत (Gurmeet) बार-बार फैरोल (Farole) और पैरोल (Parole) पर बाहर आने को लेकर चर्चाओं में बना हुआ है. अब गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim )को एक बार फिर पैरोल मिल गई है. वो 20 दिनों के लिए फिर सशर्त जमानत पर जेल से बाहर आएगा. उसने हरियाणा चुनाव आयोग को इमरजेंसी पैरोल के लिए अर्जी दी थी, जिसे मंजूरी मिल गई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि किसी कैदी को कब पैरोल दी जाती है.
क्या है पैरोल?
सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर पैरोल होती क्या है. तो बता दें पैरोल एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया है जिसमें एक कैदी को कुछ शर्तों के साथ जेल से अस्थायी रूप से रिहा कर दिया जाता है. यह मान्यता पर आधारित होता है कि कैदी ने सुधार किया है और समाज में वापस आने के लिए तैयार है.
भारत में पैरोल के लिए क्या हैं नियम?
भारत में पैरोल देने के लिए कोई एक समान नियम नहीं है. यह राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वे पैरोल देने के लिए क्या मानदंड तय करती हैं. हालांकि कुछ सामान्य मानदंड हैं जो ज्यादातर राज्यों में लागू होते हैं. सबसे पहले पैरोल देने के लिए कैदी के व्यवहार को देखा जाता है. दरअसल कैदी को जेल में अच्छे व्यवहार का रिकॉर्ड होना चाहिए, यदि ऐसा नहीं है तो पैरोल नहीं मिलती. इसके अलावा कैदी को अपनी सजा का एक साल पूरा कर चुका होना चाहिए. साथ ही कैदी को जेल में पुनर्वास कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए और कैदी के पास समाज में वापस आने का एक कारण होना चाहिए.
सात महीने में दस बार बाहर आया राम रहीम
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) की याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि पैरोल या फरलो मामले में सरकार के पास अधिकार है. जिसके कुछ दिनों बाद ही राम रहीम को फिर फरलो मिल गई थी. ये पहली बार नहीं है जब राम रहीम पैरोल पर बाहर आया हो, इससे पहले भी राम रहीम जेल से छुट्टियां लेकर बाहर आता रहा है. कुल मिलाकर दस बार वो जेल से बाहर आ चुका है. समय-समय पर वो पैरोल या फरलो लेकर बाहर आता रहता है.
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