नई दिल्ली: भले ही देश में महंगाई (Dearness) का आंकड़ा 4 फीसदी से नीचे देखने को मिल रहा हो, लेकिन आम लोगों की जेब से अब भी पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) कीमत से खाली हो रही है. वो भी तब जब इंटरनेशनल मार्केट (International Market) में कच्चे तेल की कीमतें 72 डॉलर प्रति बैरल से कम हो. जिसका सीधा फायदा देश की सरकारी ऑयल कंपनियों को हो रहा है. जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमतों की गिरावट देखने को मिल रही है, वैसे-वैसे कंपनियों के खजाने मुनाफे से भरते हुए दिखाई दे रहे हैं.
मार्च महीने के मिड में पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी. उसके बाद कीमतों में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है. खास बात तो ये है कि उस समय ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा थी. तब से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में 14 डॉलर प्रति बैरल की कमी आ चुकी है, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है. आइए आपको भी आंकड़ों के आसरे समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर पेट्रोलियम कंपनियां आम लोगों को दिए बिना अपना खजाना कैसे भर रही हैं.
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) जैसी सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल पर 15 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 12 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमा रही हैं. ICRA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रुप प्रमुख- कॉर्पोरेट रेटिंग के गिरीशकुमार कदम ने कहा कि इकरा का अनुमान है कि सितंबर 2024 (17 सितंबर तक) में इंटरनेशनल प्रोडक्ट प्राइस की तुलना में पेट्रोलियम कंपनियों को पेट्रोल पर नेट प्रॉफिट 15 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 12 रुपए प्रति लीटर देखने को मिला था. इन ईंधनों में मार्च 2024 से कोई बदलाव नहीं हुआ है. 15 मार्च 2024 को पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी.
इकरा ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में हालिया कटौती से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए ऑटो फ्यूल की रिटेल सेल्स पर मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है. भारत में फ्यूल की कीमतें पिछले कुछ वर्षों से ऊंची बनी हुई हैं, कई राज्यों में पेट्रोल अभी भी 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर है, और डीजल 90 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा है. इन कीमतों का महंगाई पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन से लेकर एविएशन तक और खाना पकाने जैसी दैनिक आवश्यकताएं भी प्रभावित होती हैं.
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ओएमसी का वित्तीय प्रदर्शन शानदार रहा है, जिसका मुनाफा पिछले वित्तीय वर्ष के निराशाजनक परिणामों से कहीं अधिक है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल ही में सरकारी ओएमसी के 86,000 करोड़ रुपए के कंबाइंड प्रोफिट की पुष्टि की है जो पिछले वर्ष की तुलना में 25 गुना अधिक है.
एचपीसीएल को बीते वित्त वर्ष 16,014 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड प्रॉफिट हुआ था, जो वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 6,980 करोड़ रुपये के नुकसान से बिल्कुल विपरीत है. कर के बाद बीपीसीएल का लाभ 26,673 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 13 गुना अधिक है, जबकि आईओसी को भी काफी मुनाफा हुआ है.
इन शानदार वित्तीय स्थिति के बावजूद, भारतीय उपभोक्ताओं को अभी तक फ्यूल की कीमतों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं देखी गई है, भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें तीन साल के निचले स्तर पर आ गई हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ओएमसी के पास अब कीमतों में कटौती की गुंजाइश है, जो संभावित रूप से महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी राज्य चुनावों से पहले उपभोक्ताओं को कुछ राहत दे सकती है.
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