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    सैलजा बोलीं, हमारी पार्टी में भी कुछ लोग खेला खेलते हैं

  • September 30, 2024

    चंडीगढ़ । कुमारी सैलजा (Kumari Selja) का सियासी सफर संघर्ष भरा रहा है, लेकिन कभी हार नहीं मानी। एक बार फिर कुछ ऐसे ही दौर से गुजर रही हैं। विधानसभा चुनाव के समय टिकट वितरण में हुई अनदेखी के चलते कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव (Kumari Selja) करीब दो सप्ताह तक खामोश रहीं। उनकी चुप्पी ने प्रदेश का सियासी माहौल गरमा दिया। विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। चुनाव के समय में ऐसी खामोशी, प्रचार से दूरी, मुख्यमंत्री की कुर्सी तक से जुड़े तमाम मुद्दों पर कुमारी सैलजा से विशेष बातचीत…

    टिकट वितरण में आपकी अनदेखी हुई? दुख हुआ?
    निश्चित तौर पर दुख हुआ, दिल भी दुखा। एक संगठन है और मेरी प्रतिबद्धता है, जिसके कारण कुछ चीजों में समझौता करना पड़ता है। जिन लोगों के लिए हम काम कर रहे थे, लड़ रहे थे, उनको न्याय नहीं दिला पाए। सभी को साथ लेकर चलने वाले का ही बड़ा दिल होता है। यहां काफी लोग ऐसे हैं, जो खुद को बहुत बड़ा मानते हैं, लेकिन उनका दिल बहुत ही छोटा है। ऐसे लोग किसी को भी सहन नहीं कर पाते। पहली बार राजनीति में मेरी एंट्री हुई, तो हार मिली थी। तब दिल बहुत दुखा था। उस हार ने बहुत कुछ सिखाया-समझाया। जमीन पर रहकर काम करते हुए बहुत कुछ नया सीखा। आप जमीनी स्तर पर काम करेंगे, तो बहुत कुछ सीख पाएंगे। हमारी पार्टी में कुछ लोग हैं, जो खेला खेलते हैं। भाजपा के साथ मिलीभगत कर चलते हैं। मैं तो सीधी और सपाट बात कहती हूं।

    नाराजगी दूर हुई? राहुल गांधी ने आपको क्या कहा?
    नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है। कुछ मुददे होते हैं, पार्टी के सही फोरम पर रखे जाते हैं। नाराजगी अलग होती है। राहुल गांधी से बात होती रहती है। चुनाव चल रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि इसी पर सबसे अधिक बात होती है। हरियाणा में मजबूत सरकार बनाने जा रहे हैं। राहुल के आने से कार्यकर्ताओं में नए जोश और उत्साह का संचार हुआ है। पार्टी तो पार्टी के तरीके से ही चलती है।

    आप असंध रैली में दिखीं, लेकिन गृह जिले हिसार के बरवाला में हुई रैली से गायब रहीं, ऐसा क्यों?
    मैंने पहले भी आपको कहा कि कोई नाराजगी नहीं है। राहुल हमारे राष्ट्रीय नेता हैं। हरियाणा में वह आए, तो उनके स्वागत के लिए मैं पहुंची। मेरे कुछ कार्यक्रम पहले से तय थे। टोहाना मेरा अपना हलका है। जिस कारण मुझे वहां समय देना था। सभी रैली में सभी नेताओं का जाना संभव नहीं हो पाता। व्यस्तता के कारण अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम तय होते हैं। सभी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। सभी कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं।

    क्या आप पूरे हरियाणा में प्रचार करेंगी? रोहतक, सोनीपत, झज्जर में भी जाएंगी क्या?
    चुनाव बहुत बड़ा होता है। हर नेता की कुछ प्राथमिकताएं होती हैं। जहां मांग होती है, उन्हें भेजा जाता है। हमारा केंद्रीय नेतृत्व चुनाव प्रचार के लिए शेड्यूल तय करता है। प्रचार के लिए मेरे कार्यक्रम बन रहे हैं। हिसार, सिरसा, फतेहाबाद जिलों को कवर कर चुकी हूं। प्रत्याशी जहां बुलाएंगे, वहां जाऊंगी। हमारे बड़े नेताओं के कार्यक्रम भी रहेंगे। जहां भी ड्यूटी लगेगी, उसे निभाऊंगी।

    आपके भाजपा में शामिल होने की खबरें बड़ी तेजी से फैलीं। मनोहर लाल ने तो खुला ऑफर दिया। किसी भाजपा नेता का फोन आया आपको?
    मेरी भाजपा के किसी नेता से कोई बात नहीं हुई। चुनाव के समय इस तरह की अफवाह उड़ती रहती है। मेरे पिता बहुत कम उम्र में राजनीति में आ गए थे। उन्होंने लगातार संघर्ष किया, वह कांग्रेस में अपने काम के बल पर मुकाम बनाने में कामयाब रहे। कांग्रेस ने उन्हें मौके भी दिए। मैंने पहले भी यह कहा था कि मेरे पिता भी कांग्रेस के झंडे में गए थे। मैं भी उनकी तरह से ही कांग्रेस की सच्ची सिपाही हूं, पार्टी के झंडे में ही विदा होकर जाऊंगी? मेरी निष्ठा पर कोई सवाल नहीं उठा सकता।



    भाजपा अपने प्रचार में विकास के बजाय आपको मुद्दा बना रही है, कह रही है कि बहन सैलजा के साथ अत्याचार हो रहा है, क्या ऐसा है?
    दरअसल, भाजपा के पास गिनाने के लिए कोई काम है ही नहीं। 10 साल में उसने हर वर्ग को परेशान किया। किसी की समस्या का समाधान करने के बजाय उन पर लाठी चलाने का काम किया। प्रजातंत्र में इस तरह से आवाज दबाई नहीं जा सकती। उनके कर्म ही आज उनके सामने आ रहे हैं। भाजपा ने किसानों को दिल्ली नहीं जाने दिया था, अब लोग गांवों में उन्हें घुसने नहीं दे रहे। जवाब तो देना पड़ेगा। दस साल में जो बोया है, वह तो काटना पड़ेगा। इससे पहले किसी पार्टी की इतनी बुरी स्थिति नहीं होती थी।

    यदि कांग्रेस की सरकार हरियाणा में बनी तो आपके समर्थक क्या फैसला लेंगे?
    सरकार में सभी की हिस्सेदारी होगी। हाईकमान सभी के साथ पूरा इंसाफ करेगा। कांग्रेस के वफादारों के साथ अच्छा ही होगा। हमारी पार्टी ने अच्छा फैसला लिया है। जिन लोगों ने पार्टी के खिलाफ जाकर लड़ा उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया है। हमारे हर एक प्रत्याशी का चुनाव चिह्न हाथ ही होता है।

    क्या आप अब भी सीएम बनने के दावे पर कायम हैं?
    राजनीति में लोगों की इच्छा होती है। लोगों के काम करने के लिए एक पद, एक कुर्सी तो चाहिए। मैंने तो काफी पहले ही कह दिया था कि मैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी। हाईकमान का आदेश हुआ तो मैंने चुनाव लड़ा। मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, तमाम तरह की परिस्थिति बनी कि मैं विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रही हूं। अंतिम फैसला हमेशा ही हाईकमान का होता है। वह जो फैसला लेगा, सभी को मंजूर होगा।

    ऐसी चर्चा है कि आप डिप्टी सीएम के पद पर सहमत हो गई हैं?
    यह गलत बात है, ऐसा कुछ नहीं हुआ। कुछ लोग तरह-तरह की अफवाह फैलाने का काम कर रहे हैं। जो भी फैसला करना होगा, हाईकमान करेगा।

    आज तक हरियाणा में कोई महिला सीएम नहीं बनीं, अनुसूचित वर्ग से आज तक सीएम नहीं बन सका? क्या उनकी इच्छाएं नहीं होंगी?
    करोड़ों लोगों की भावनाएं होती हैं। एक मुकाम तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। बिना संघर्ष कोई किसी को आगे नहीं आने देता। इस पोजीशन तक पहुंचने के लिए हमने पूरा जीवन खपाया है। अपनी निष्ठा, संघर्ष, मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाई है। सीएम की कुर्सी तो एक ही होती है। अब उसको लेकर हाईकमान ही फैसला लेता है। मुझे लगता है कि हाईकमान सही समय पर सही फैसला ही लेता है। कई बार हमें लगता है कि कुछ चीज धीमी गति से चल रही है। वह भी हाईकमान की एक रणनीति होती है। जल्दबाजी में कुछ चीजें खराब हो जाती हैं। हमें सही समय का इंतजार करना चाहिए।

    किरण चौधरी से लंबे समय तक आपके अच्छे संबंध रहे,अब भी बातचीत होती होगी?
    किरण चौधरी के साथ मेरे राजनीतिक ही नहीं, पारिवारिक रिश्ते भी रहे हैं। सभी जानते हैं कि किरण चौधरी की शादी हमारे दिल्ली वाले घर में हुई थी। उन्हें एक रास्ता चुनने के लिए मजबूर किया गया। मेरी उनके लिए शुभकामनाएं हैं। उनसे बातचीत होती है, लेकिन राजनीतिक नहीं, पारिवारिक। नेता भी सामाजिक होते हैं। एक दूसरे से दुख-सुख और परिवार की बातें करते हैं।

    कई समर्थकों को आप टिकट की गारंटी दे चुकी थीं, वह तैयारी भी कर चुके थे। कुछ तो निर्दलीय भी लड़ना चाहते होंगे, उन्हें कैसे मनाया?
    मैं अपने कार्यकर्ता के लिए सड़क पर भी लड़ती हूं और संगठन में भी उनकी आवाज उठाती हूं। जिसका जो हक हो, उसे वह मिलना चाहिए। अगर आप अपने समर्थकों- कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं उठा सकते तो वह आप पर भरोसा क्यों करेंगे। काफी लोगों के दिल टूटे हैं, उनको निराशा भी हुई है। मेरे पास उनके फोन भी आए। मैंने उन्हें कहा कि हमारी निष्ठा कांग्रेस के प्रति है। हम उसे धोखा नहीं दे सकते । विचारधारा से दूर होकर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। अच्छे और सच्चे लोग हमेशा अपनी निष्ठा बनाए रखते हैं।

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