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    राहुल गांधी की नागरिकता पर दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की अदालतों में हो रही सुनवाई, जानें

  • September 26, 2024

    नई दिल्ली. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की नागरिकता (citizenship) को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ पड़ी है. लखनऊ (Lucknow) से लेकर दिल्ली (Delhi) तक की अदालतों में उनकी नागरिकता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) की लखनऊ बेंच ने बुधवार को गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं राहुल की नागरिकता से संबंधित सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है.

    लखनऊ हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है उसमें राहुल गांधी के विदेशी नागरिक होने का दावा किया गया है. जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल को इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जानकारी हासिल करने का निर्देश दिया है.


    जुलाई 2024 में इसी याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर की याचिका को कोर्ट ने ये कहकर खारिज किया था कि वह चाहें तो सिटीजनशिप एक्ट के तहत सक्षम प्राधिकारी के पास शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद शिशिर ने दावा किया कि सक्षम प्राधिकारी को दो-दो बार शिकायत के बाद भी कोई एक्शन नहीं होने पर उन्होंने फिर से याचिका दाखिल की.

    राहुल के ब्रिटिश नागरिक होने का दावा
    कर्नाटक के रहने वाले एस विग्नेश ने 12 सितंबर को दायर जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने अमेठी से सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के यूनाइटेड किंगडम (यूके) का नागरिक होने दावा किया है. शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने मामले की गहन जांच की और कहा कि उन्हें जो गोपनीय जानकारी मिली है, उससे पता चला है कि गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है. एस विग्नेश शिशिर ने सीबीआई जांच की मांग के साथ ही राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर उनकी भारतीय नागरिकता रद्द करने की भी मांग की है.

    हाईकोर्ट ने क्या कहा
    बुधवार को सुनवाई के दौरान शिशिर ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट के समक्ष अपनी पूर्व याचिका वापस लेने के बाद उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी के समक्ष दो आवदेन (अभ्यावेदन) प्रस्तुत किए लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ. शिशिर ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है.

    वहीं कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका वर्तमान ध्यान केवल इस बात पर है कि क्या केंद्र सरकार को अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं ?और इस संबंध में वह क्या निर्णय या कार्रवाई करने का प्रस्ताव है? जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) सूर्यभान पांडे को इस संबंध में गृह मंत्रालय से जानकारी प्राप्त करने निर्देश दिया है. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को करेगा.

    सुब्रह्मण्यम स्वामी के दावे पर आज सुनवाई
    इसी साल अगस्त में पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और राहुल की भारतीय नागरिकता रद्द करने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश दिए जाने की मांग की थी. सुब्रह्मण्यम स्वामी का दावा है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता है और उनके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है. इस पर कोर्ट आज यानि 26 सितंबर को सुनवाई करेगा.

    याचिका में सुब्रह्मण्यम स्वामी का कहना है कि उन्होंने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर गृह मंत्रालय को पांच साल पहले शिकायत दी थी. अभी तक गृह मंत्रालय ने ये साफ नहीं किया कि इस मसले पर उसने क्या फैसला लिया है या कार्रवाई की है?कोर्ट गृह मंत्रालय से उनकी दायर याचिका पर अब तक की गई कार्रवाई पर स्टेटस रिपोर्ट तलब करे.

    कब-कब उठे राहुल की नागरिकता पर सवाल
    राहुल की नागरिकता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. वर्षों पहले सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी. उसमें राहुल की नागरिकता के मामले पर गृह मंत्रालय को जल्द जांच के निर्देश दिए जाने की गुहार लगाई गई थी. तब तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस गोगोई ने कहा था कि अगर कोई कंपनी किसी फॉर्म में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताती है तो इसका मतलब यह नहीं कि वे ब्रिटिश हो गए.

    2019 में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इसी तरह के सवाल उठाए थे और गृह मंत्रालय से इस संबंध में जवाब दिया था. इस बार स्वामी ने तर्क दिया है कि उनके पत्र के पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, गृह मंत्रालय की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

    सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की शिकायत के बाद गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी से एक पखवाड़े के भीतर शिकायत का जवाब देने को कहा था. नोटिस में गृह मंत्रालय ने कहा गया था, “यह बात सामने आई है कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक एक कंपनी वर्ष 2003 में यूके में पंजीकृत हुई थी, जिसका पता 51 साउथगेट स्ट्रीट, विनचेस्टर, हैम्पशायर एस023 9ईएच था और राहुल गांधी उक्त कंपनी के निदेशकों और सचिव में से एक थे. इस पर स्थिति स्पष्ट करें.”

    मई 2019 में भी राहुल की नागरिकता पर जब सवाल उठे और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. हालांकि तब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी कथित ब्रिटिश नागरिकता के कारण आम चुनाव लड़ने से रोकने की याचिका खारिज कर दी थी.

    कांग्रेस और प्रियंका गांधी खारिज कर चुकी है आरोप
    जब 2019 में स्वामी ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए तो कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राहुल गांधी को जारी नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “पूरी दुनिया जानती है कि राहुल गांधी जन्म से भारतीय नागरिक हैं. मोदी जी के पास बेरोजगारी, कृषि संकट और काले धन का कोई जवाब नहीं है, इसीलिए वह ध्यान भटकाने के लिए अपनी सरकार के नोटिस के जरिए फर्जी बयानबाजी कर रहे हैं.”

    नागरिकता पर उठ रहे सवालों को कांग्रेस नेता और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी पहले ही खारिज कर चुकी हैं. प्रियंका ने कहा था कि कि पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी हिंदुस्तानी हैं और वे सबके सामने पैदा हुए, बड़े हुए. उन्होंने राहुल की नागरिकता पर उठ रहे सवालों को बकवास बताया था.

    केंद्र ने RTI में दिया था ये जवाब
    राहुल की नागरिकता पर आरटीआई से मांगी गई जानकारी की अर्जी के जवाब में केंद्र सरकार ने किसी भी प्रकार की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया था. एक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय से राहुल की नागरिकता मामले में जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में मंत्रालय ने कहा कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (एच) और (जे) के तहत कोई खुलासा नहीं किया जा सकता है. जानकारी देने से जांच प्रक्रिया में बाधा पहुंचेगी.

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