अमरावती। तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। हालिया एक लैब रिपोर्ट से पता चला था कि मंदिर का प्रसाद बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता है। यह जानकारी सामने आने के बाद लगातार विवाद बना हुआ है। अब मंदिर को फिर से पवित्र करने के लिए अनुष्ठानिक शुद्धिकरण किया जा रहा है।
मंदिर सूत्रों ने सोमवार को बताया कि वाईएसआरसीपी शासन के दौरान तिरुमाला मंदिर में हुए कथित अपवित्र काम को सुधारने के लिए चार घंटे का होने वाला शांति होमं पंचगव्य प्रोक्षणा (अनुष्ठानात्मक शुद्धिकरण) चल रहा है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की। बताया कि यह अनुष्ठान सुबह छह बजे शुरू हुआ और सुबह 10 बजे तक चला। इसका उद्देश्य भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को खुश करना है। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने रविवार को कहा कि ये अनुष्ठान श्रीवारी भक्तों की भलाई के साथ-साथ लड्डू प्रसादम की पवित्रता को बहाल करेंगे।
आंध्र में जून में सत्ता परिवर्तन हुआ था। जिसके बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी सत्ता में वापस आई है। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की आशंका जाहिर की थी। जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने सप्लाई किए गए घी के सैंपल लेकर जांच के लिए गुजरात स्थित डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की लैब ‘सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड’ (CALF) भेजे थे। जिसके बाद लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए।
एनडीडीबी लैब की रिपोर्ट से पता चला कि शुद्ध घी में शुद्ध दूध में वसा की मात्रा 95.68 से लेकर 104.32 तक होना चाहिए था। लेकिन सैंपल्स में मिल्क फैट की वेल्यू 20 ही पाई गई थी। जिससे इस मिलावटी घी के बारे में खुलासा हुआ। जिसके बाद बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक इन सैंपल में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून का तेल, गेंहू, मक्का, कॉटन सीड, मछली का तेल, नारियल, पाम ऑयल, बीफ टैलो, लार्ड जैसे तत्व पाए गए हैं। इस घी को चेन्नई की AR डेयरी एंड एग्रो प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने सप्लाई किया था।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved