डेस्क: श्रीलंका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा उटफेर हुआ है. यहां किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी 50 फीसदी से अधिव वोट नहीं मिला, जिसके बाद श्रीलंका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि दूसरे दौर की मतगणना कराने का आदेश दिया गया है. इस चुनाव में मार्क्सिस्ट जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर के अनुरा कुमारा दिसानायके ने 39.52 फीसदी वोट हासिल किए हैं.
विपक्षी नेता सामगी जन बालवेगया के साजिथ प्रेमदासा लगभग 34.28 के साथ दूसरे स्थान पर रहे. श्रीलंका में 2022 के आर्थिक संकट के बाद पहली बार हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए शनिवार (21 सितंबर) को मतदान हुआ था. राष्ट्रपति चुनाव के बाद किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर श्रीलंका में शनिवार रात 10 बजे से रविवार (22 सितंबर) सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया था.
श्रीलंका के चुनाव आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि दिसानायके और प्रेमदासा ने राष्ट्रपति चुनाव में अधिकतम वोट हासिल किए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि चूंकि दोनों में से किसी को भी 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले हैं, इसलिए मतों की दूसरी वरीयता गणना की जाएगी.
श्रीलंका में मतदाता वरीयता के क्रम में तीन उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं. यदि किसी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत प्राप्त होता है, तो उसे विजेता घोषित किया जाता है. यदि नहीं, तो मतगणना का दूसरा दौर शुरू होता है, जिसमें दूसरे और तीसरे विकल्प के वोटों के आधार पर निर्णय लिया जाता है.
श्रीलंकाई चुनाव आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि कुल वोटों और वरीयता वोटों की गणना के बाद नया राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किया जाएगा. श्रीलंका में कभी भी कोई चुनाव मतगणना के दूसरे दौर तक नहीं पहुंचा है, क्योंकि प्रथम वरीयता मतों के आधार पर हमेशा कोई उम्मीदवार विजेता बना है.
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