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    एमपी : कूनो में 17 शावकों का जन्म, पांच की मौत, भारत में प्रोजेक्ट चीता के दो साल पूरे

  • September 18, 2024

    भोपाल। अफ्रीका महाद्वीप (continent of africa) से भारत (India) लाए गए चीतों (Cheetahs) को दो साल पूरे हो गए हैं। मध्य प्रदेश (MP) के कुनो नैशनल पार्क (kuno national park) में, जहां ये चीते भारतीय वातावरण में ढलने लगे हैं, वहीं इस प्रजाति ने अब अपने नए घर में आबादी बढ़ाना भी शुरू कर दिया है। चीते की पहली खेप 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर भारत पहुंची थी, जिसमें आठ चीते शामिल थे। दूसरी खेप फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से आई थी, जिसमें 12 चीते लाए गए थे। दो वर्षों में कुल 20 चीते भारत आ चुके हैं, जिनमें से 12 अभी जीवित हैं। आठ चीतों की मौत हो चुकी है। दो साल में कुल 17 शावकों का जन्म हुआ, जिनमें से पांच की मौत हो गई।



    संतोष की बात है कि तमाम मुश्किल हालातों के बाद भी कुनो में चीतों की आबादी बढ़ रही है। खुले जंगल में छोड़े गए एक चीते (पवन) की डूबने के चलते हुए मौत के बाद प्रशासन इन्हें खुले जंगल में छोड़ने का फैसला नहीं ले पाया है। फिलहाल सभी चीते बाड़े में हैं और धीरे-धीरे इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। चीतों को आमतौर से घूमने फिरने के लिए कम से कम 50 किलोमीटर का इलाका चाहिए होता है। प्रोजेक्ट चीता के दो साल पूरे होने पर मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस प्रोजेक्ट की तमाम बाधाओं और उपलब्धियों को लेकर कई बातें साझा की। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट चीता के दो साल चुनौतीपूर्ण रहे हैं, जिसमें चीतों के आवास समायोजन से लेकर शावकों का जीवन बचाने तक कई बाधाओं को सफलतापूर्वक पार किया गया।

    अभी और चीते लाए जाएंगे
    केंद्रीय मंत्री ने एक विडियो जारी करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में और चीते लाएं जाएंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि आज जब दुनिया इन चीतों के शावकों को उनके नैचरल घर में फलते-फूलते देख रही है, तब हम न केवल उनके जीवित रहने की खुशी मना रहे हैं, बल्कि इन बड़े प्रयासों में शामिल सभी लोगों के समर्पण का भी जश्न मना रहे हैं। उन्होंने इस कोशिश को हमारे इकोसिस्टम में संतुलन बहाल करने की शुरुआत भर बताते हुए कहा कि आगे और भी कई मील के पत्थर स्थापित करने हैं। शुरुआती मुश्किलों के बाद सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने जा रही है, जिसमें कुनो के अलावा चीतों के लिए दूसरा बसेरा भी तैयार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के अगली खेप को लाने संबंधी तैयारी जोरों पर है। वहीं गुजरात में बन्नी घास के मैदानों में एक संरक्षण प्रजनन केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

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