येरेवान। अजरबैजान (Azerbaijan) के साथ तनाव में उलझे आर्मेनिया (Armenia) ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एक बार फिर भारत (India) से संपर्क किया है। आर्मेनिया अपनी सेना के लिए हवा से हवा में मार करने वाली भारत निर्मित ‘अस्त्र’ (‘Astra’) और दूसरी भारतीय मिसाइलों को खरीदना चाहता है। आर्मेनिया की योजना अपने लड़ाकू बेड़े में शामिल सुखोई (Sukhoi) 30 को अपग्रेड करने की है।सैन्य सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस बारे में बातचीत जारी है और अभी यह शुरुआती चरण में है। सूत्रों ने बताया है कि आर्मेनिया अपनी वायु सेना को अपग्रेड करना चाह रहा है और इसके लिए हथियारों के मामले में भारत से मदद मांग रहा है।
एक सूत्र के हवाले से द प्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ‘आर्मेनिया सुखोई 30 को अपग्रेड करना चाह रहा है लेकिन उसके SU-30 भारत के SU-30 से अलग हैं। ऐसे में भारत को यह देखना होगा कि इस मामले में क्या-क्या किया जा सकता है। बातचीत अभी शुरुआती चरण में है।’ आर्मेनिया भारत से जिन हथियारों की मांग कर रहा है, उनमें हवा से सतह पर मार करने वाले गाइडेड हथियार भी शामिल हैं। हालांकि, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि आर्मेनिया ने हवा से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल की मांग की है या नहीं। पिछले कुछ समय में ब्रह्मोस को लेकर दुनिया में डिमांड तेज हुई है।
आर्मेनिया का सुखोई बन गया सफेद हाथी
सूत्रों ने बताया है कि मिसाइलों के निर्यात को लेकर कई प्रोटोकॉल हैं और उससे पहले कई मुद्दों से निपटना होगा। आर्मेनिया ने साल 2019 में रूस से चार सुखोई 30 लड़ाकू विमान खरीदे थे, लेकिन 2020 में नागोर्नो-काराबाख में अजरबैजान के खिलाफ संघर्ष में वह इनका इस्तेमाल ही नहीं कर पाया। इस विमान में हवा से सतह पर मार करने वाले हथियारों समेत मारक क्षमता की कमी थी, जिसके चलते यह आर्मेनिया के लिए सफेद हाथी साबित हो गया है।
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अजरबैजान की मदद कर रहा तुर्की
वहीं, अजरबैजान के पास सोवियत युग के सुखोई 25 युद्धक विमान हैं, जिसे उसने तुर्की की मदद से मजबूत किया है। एक और क्षेत्र है जिस पर आर्मेनिया भारत से मदद लेने पर विचार कर रहा है। वह सुखोई 30 के पायलटों को प्रशिक्षण दिलाना चाह रहा है। भारत के बेड़े में लगभग 272 सुखोई 30 MKI हैं। इसके साथ ही भारत ने विमान ने कुछ पार्ट का स्थानीय रूप से निर्माण करने में सफलता हासिल की है, जो रूस पर निर्भरता कम करने में मदद करता है। अजरबैजान ने ड्रोन और दूसरे हथियारों में निवेश किया है, जो आर्मेनिया की हवाई रक्षा ढांचे को नष्ट करने में सक्षम है। अजरबैजान के साथ संघर्ष के बाद से आर्मेनिया और भारत के बीच रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं और नई दिल्ली के लिए यह बड़ा रक्षा गंतव्य बन गया है। अतीत में आर्मेनिया ने पिनाका मिसाइल, मोर्टार, रडार समेत कई हथियार खरीदे हैं।
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