नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia–Ukraine War) के बीच रूसी सेना में फंसे सभी युवक (young man) भारत (India) वापस लौट चुके हैं। उन्होंने आपबीती साझा की है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के प्रति आभार प्रकट किया है। तेलंगाना (Telangana) के नारायणपेट के एक युवक मोहम्मद सूफियान भी वहां फंसे थे। उन्होंने उस भयानक मंजर के बारे में अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, मैं यूक्रेन के 60 किलोमीटर अंदर रूसी सैनिकों के साथ एक शिविर में था। 6 सितंबर को एक स्थानीय सेना कमांडर आया और हमें बताया कि हमें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया ह ैऔर हमारा अनुबंध अब वैध नहीं है। हम भारत लौट सकते हैं। उन्होंने मुझे गुलबर्गा के तीन युवकों और रूसियों के साथ लड़ने वाले अन्य विदेशी नागरिकों को एक सेना की बस उपलब्ध कराई और हम दो दिन बाद मॉस्को पहुंच गए।
पिछले दिसंबर में मॉस्को पहुंचने के बारे में याद करते हुए सूफियान ने कहा कि एक रोजगार एजेंट ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह मॉस्को में रूसी सरकार के कार्यालय में सुरक्षा गार्ड या सरकारी कार्यालय में सहायक के रूप में नौकरी के लिए आवेदन कर रहा है।
सूफियान ने कहा कि हर दिन जिंदा रहने के लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता था। गुजरात के एक युवक हेमिल मंगुकिया के फरवरी में 23 रूसी सैनिकों के साथ ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद कुछ युवाओं ने फ्रंटलाइन पर काम करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया, सजा के तौर पर वहां के प्रभारी अधिकारी ने हमें एक खाई खोदने के लिए मजबूर किया और हमें बिना भोजन और केवल दो बोतल पानी के साथ ठंड के तापमान में रात बिताने के लिए मजबूर किया। जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ा मैं और गुलबर्गा के तीन युवा रोजाना विरोध करते थे। सैनिकों और अधिकारियों से कहत ेथे कि हमने उनके युद्ध के मोर्चे पर मरने के लिए हस्ताक्षर नहीं किए हैं। हम खाइयां खोद रहे थे और वे बंदूकें फिर से लोड कर रहे थे और ग्रेनेड फेंक रहे थे।
सूफियान ने कहा कि उन्हें प्रति माह 1 लाख रुपये का वेतन देने का वादा किया गया था। किस्तों में पैसे मिले। भोजन, गर्मी के लिए जनरेटर और सोने के लिए खाइयों में जगह किराए पर लेने में पैसे खर्च हो गए। जब हम भारत वापस लौटने के लिए मॉस्को लौटे तो सेना के अधिकारियों ने भारत के बैंक खाते के नंबर लिए और हमें अभी भी बकाया वेतन जमा करने का वादा किया। देखते हैं कि वे ऐसा करते हैं या नहीं।
गुलबर्गा के मोहम्मद इलियास सईद हुसैनी, मोहम्मद समीर अहमद और नईम अहमद भी शुक्रवार दोपहर को सूफियान के साथ हैदराबाद एयरपोर्ट पर उतरे और उनके परिवारों ने उनका स्वागत किया। घर लौटने वाले दो अन्य भारतीयों में कश्मीर का एक युवक और कोलकाता का एक युवक भी शामिल है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved