ढाका । पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Former Prime Minister Sheikh Hasina)के 5 अगस्त को बांग्लादेश(Bangladesh) छोड़ने के बाद वहां हिंदुओं की स्थिति (The position of the Hindus)बदतर होती जा रही है। उनपर लगातार हमले हो रहे हैं। अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर शुक्रवार को हजारों की संख्या में हिंदू ढाका और चटगांव की सड़कों पर आंदोलन किया। सरकार से इन हमलों को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की है। बारिश के बावजूद उन्होंने आठ सूत्री मांगों वाले पोस्टर लेकर विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने हमलावरों को फास्ट-ट्रैक ट्रिब्यूनल के ज़रिए सजा देने की मांग भी की।
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा टेलीविजन पर दिए गए भाषण में राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह यह कहा गया था कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने वाला कुछ भी काम नहीं करना चाहिए। इसके दो दिन बाद हिंदुओं ने वहां आंदोलन किया।
चटगांव में हिंदुओं ने अल्पसंख्यक मामलों से निपटने के लिए एक अलग मंत्रालय और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटें सहित कई मांगे सरकार से की है।
हिंदू प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं तब तक वे अपने घर नहीं लौटेंगे। उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए मुआवज़ा और पुनर्वास की भी मांग की है। टारगेट किलिंग, लूटपाट और संपत्तियों के विनाश का ज़िक्र करते हुए उन्होंने एक अलग अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम की भी मांग वहां की वर्तमान सरकार से की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी के एजेंट के रूप में काम नहीं कर रहे हैं।
चटगांव में महिलाओं सहित प्रदर्शनकारी जमाल खान क्षेत्र में एकत्र हुए और दोपहर 3 बजे से प्रदर्शन किया। खुद को बंगाली (बांग्लादेश के मूल निवासी) बताते हुए उन्होंने घोषणा की कि वे इस भूमि को नहीं छोड़ेंगे। कुछ प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की भूमिका पर नाराजगी व्यक्त की क्योंकि उनकी आवाज मुख्यधारा के मीडिया आउटलेट के माध्यम से नहीं सुनी जाती है। एक ने अधिकारियों से अल्पसंख्यकों पर हमलों के बारे में दैनिक प्रोथोम अलो की रिपोर्टों पर ध्यान देने का आग्रह किया।
ढाका में भी प्रदर्शनकारियों ने शाम 4.30 बजे के आसपास इसी तरह की मांगों के साथ ऐतिहासिक शाहबाग चौराहे को घेर लिया। सुरक्षा बलों की निगरानी में सनातनी अधिकार आंदोलन के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कई हिंदू संगठन शामिल हैं।
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