नई दिल्ली। पिछले 156 दिनों (156 days) से जेल ( jail) में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) की जमानत अर्जी (Bail application) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) निर्णय लेगा. BI मामले में जमानत याचिका के अलावा कोर्ट गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी फैसला सुनाएगा.
दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (13 सितंबर) को फैसला सुनाएगा. बता दें कि CBI मामले में जमानत याचिका के अलावा कोर्ट गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी फैसला सुनाएगा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच यह फैसला सुनाएगी. बता दें कि दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही फैसला सुरक्षित रख लिया था. तब सीबीआई और केजरीवाल ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं थीं.
156 दिन जेल में रहे केजरीवाल
केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार गिरफ्तार किया. 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया. 10 मई को 21 दिन के लिए आम चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया. ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी. 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. आज यानी 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई होती है तो कुल जेल गए 177 दिन हो जाएंगे. अगर 21 दिन की रिहाई को कम कर दिया जाए तो केजरीवाल कुल 156 दिन जेल में रहे.
केजरीवाल को जेल से ही किया था गिरफ्तार
दरअसल, केजरीवाल को पहले ईडी ने अरेस्ट किया था, लेकिन उस मामले में जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की थी. इस दौरान केजरीवाल की तरफ से सीनियर अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की थी, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू मौजूद थे.
फैसले की टाइमिंग अहम
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले आज से ही चुनाव प्रचार का असली दौर शुरू होगा, क्योंकि कल यानी 12 सितंबर तक नामांकन की प्रक्रिया चल रही थी. ऐसे में अरविंद केजरीवाल का बेल पर छूट कर बाहर आना टाइमिंग के हिसाब से परफेक्ट हो सकता है. इसके अलावा दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन की सुगबुगाहट चल रही है. बड़ी दलील ये है कि मुख्यमंत्री के जेल में बंद होने के कारण देश की राजधानी में कामकाज ठप पड़ा है. राष्ट्रपति ने दिल्ली के बीजेपी विधायकों की राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग को केंद्रीय गृह सचिव के पास विचार के लिए भेजा है. लेकिन केजरीवाल के बाहर आने के बाद बीजेपी के इस मुहिम की हवा निकल सकती है.
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