नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के शिमला में संजौली मस्जिद (Sanjauli Mosque) को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले कई दिनों से मस्जिद को अवैध बताकर विरोध प्रदर्शन (Protest calling the mosque illegal) जारी है. इसके चलते इलाके में तनाव की स्थिति है. इस बीच मुस्लिम कल्याण समिति ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त से मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को सील करने का आग्रह किया और अदालत के आदेश के अनुसार इसे ध्वस्त करने की पेशकश भी की. इस समिति में मस्जिद के इमाम और वक्फ बोर्ड तथा मस्जिद प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल हैं.
समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री को ज्ञापन देकर यह अनुरोध किया और कहा कि इलाके में रहने वाले मुसलमान हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी हैं और यह सद्भाव और भाईचारे को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. कल्याण समिति के सदस्य मुफ्ती मोहम्मद शफी कासमी ने कहा, “हमने संजौली में स्थित मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को ध्वस्त करने के लिए शिमला नगर निगम आयुक्त से अनुमति मांगी है.” पीटीआई के मुताबिक संजौली मस्जिद के इमाम ने कहा, “हम पर कोई दबाव नहीं है, हम दशकों से यहां रह रहे हैं और यह फैसला एक हिमाचली के तौर पर लिया गया है. हम शांति से रहना चाहते हैं और भाईचारा कायम रहना चाहिए.”
उधर, मस्जिद में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने वाले देव भूमि संघर्ष समिति के सदस्यों ने इस कदम का स्वागत किया. समिति के सदस्य विजय शर्मा ने कहा, “हम मुस्लिम समुदाय के इस कदम का स्वागत करते हैं और व्यापक हित में यह पहल करने के लिए हम सबसे पहले उनका अभिवादन करेंगे.”
बता दें कि मस्जिद में विवादित ढांचे को गिराने और राज्य में आने वाले बाहरी लोगों के पंजीकरण की मांग कर रहे हिंदू संगठनों ने बुधवार को संजौली बंद का आह्वान किया था. मस्जिद में कुछ मंजिलों के अनधिकृत या अवैध निर्माण के मामले की सुनवाई नगर निगम की अदालत में चल रही है. पिछले गुरुवार को हिंदू समूहों ने अपनी मांगों को लेकर विधानसभा और संजौली के आसपास के चौड़ा मैदान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था.
मस्जिद का विस्तार करने के उद्देश्य से इसके परिसर में 2007 के बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ था. साल 2010 में मस्जिद को अवैध बताते हुए इसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. हालांकि, पिछले 14 वर्षों में मस्जिद पर चार नई मंजिलें जोड़ी गईं. नगर निगम द्वारा इस मामले की 44 बार सुनवाई की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. पिछले महीने कुछ लोगों के एक समूह ने दावा किया कि उनकी जमीन पर मस्जिद का विस्तार किया जा रहा है और इसे लेकर दो समुदायों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई. इस विवाद के बाद यह पांच मंजिला मस्जिद स्थानीय और राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आई.
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