नई दिल्ली: दस साल बाद जम्मू कश्मीर (Jammu Kasmir) में विधानसभा चुनाव (assembly elections) होने जा रहे हैं. इन दस साल में जम्मू कश्मीर आतंकवाद (Terrorism) और अलगाववाद से आगे बढ़ा. साथ ही घाटी ने देश की मुख्यधारा में जुड़ते हुए विकास को चुना. इसी 10 साल में सबसे बड़ा काम हुआ जब केन्द्र सरकार (central government) ने धारा 370 को हटा दिया. इसके बाद देश के अन्य राज्यों को मिलने वाली केन्द्र की योजनाओं और सुविधाओं को जम्मू कश्मीर में भी लागू किया गया. जो जम्मू कश्मीर में अलगाववाद (Separatism) फैलाते थे उनपर नकेल कसी और उनकी जमी जमाई जमीन खींच ली. जम्मू कश्मीर चैन की सांसें लेने लगा तो ये सब होता देख पाकिस्तान और वहां पर बैठे आंतकी आंकाओं की ऑक्सीजन ही छिन गई. अब घाटी में चुनाव हैं तो एक बार फिर से पाकिस्तान और आतंकी तंजीम अपना फन फैलाने की कोशिश में जुटी है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चुनावों के बहिष्कार और चुनावों में हिस्सेदारी को रोकने के लिए पाकिस्तानी आतंकियों ने धमकी भरे संदेश से सोशल मीडिया को भरना शुरू कर दिया है.
पाकिस्तान की तरफ से ऑपरेट होने वाले दर्जनों सोशल मीडिया अकाउंट नेगेटिव हैशटैग के जरिए सोशल मीडिया में एंटी इंडिया सेंटीमेंट को हवा दे रहे हैं. देने में जुटा है … जिसमें नेगेटिव एलिमेंट #IIOJK, #EndIndianOccupation, #ShamPollsInIIOJK , #StatehoodForKashmir, #RightToSelfDetermination, #ShamPollsInIIOJK and #KashmirBleeds… जैसे कई दर्जन अन्य हैशटैग को कश्मीरी आवाम के मोबाइल में सोशल मीडिया के जरिए पहुंचाया जा रहा है. पुराने हैशटैग को भी री हैश कर के पाकिस्तानी सोशल मीडिया फैलाने में जुटा है. जम्मू कश्मीर में अपनी जमीन खो चुके प्रो-पाकिस्तानी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस नेता सैयद अली शाह गिलानी की बरसी के आसपास चुनावों का बहिष्कार, चुनाव विरोधी प्रचार बढ़ गया है. ये सोशल मीडिया हैंडल चुनाव के बहिष्कार करने की कॉल दे रहे हैं और आंतिकी संगठन कश्मीर फाइट सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों की धमकी दे रहा है.
प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी चुनावों में तो खुद नहीं उतर सकता तो वो निर्दलिय उम्मीदवारों का समर्थन कर रह है. दरअसल जमात पर अलगाववाद का समर्थन, सुरक्षाबलों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन को समर्थन करने के आरोप है. इस संगठन को 28 फरवरी 2019 में गृह मंत्रालय ने UAPA के तहत प्रतिबंधित कर दिया था और इस साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने इस प्रतिबंध को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया गया.
1987 के बाद पहली बार जमात निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन कर रहा है, जिसमें साउथ कश्मीर कुलगाम, पुलवामा, देवसर और जेनापोरा विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार है. ये चौंकने वाली बात है कि जो जमात चुनावों का बहिष्कार करने का स्टैंड लेता रहा है अब वो चुनावों में निर्दलीयों को सपोर्ट कर रहा है. जमात के पूर्व सदस्य तो चुनावी रैली भी कर रहे हैं. जमात की विचारधारा पर ही आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन काम करता है और जिस हिजबुल की कमर घाटी में सुरक्षाबलों ने पिछले कुछ सालों में तोड़ी है, उसे नई सांस मिलने का ख़तरा बढ़ सकता है और जमात की ये सक्रियता सुरक्षाबलों के लिए चुनौती का सबब भी हो सकता है.
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