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    प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से मिलना चाहती थी सीएम, ठुकरा दिया प्रस्‍ताव

  • September 11, 2024

    नई दिल्‍ली । आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों (Junior doctors on strike)ने मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने संबंधी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के निर्देश को अनदेखा (ignore the instruction)कर दिया। साथ ही कहा कि वे अपनी मांगें पूरी होने और आरजी कर अस्पताल घटना में जान गंवाने वाली चिकित्सक को न्याय मिलने तक ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे। इस बीच, चिकित्सकों ने आरजी कर अस्पताल मुद्दे पर गतिरोध दूर करने के लिए राज्य सचिवालय में वार्ता के वास्ते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण को ई-मेल की भाषा पर आपत्ति जताते हुए मंगलवार को ठुकरा दिया।

    राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम द्वारा प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को मंगलवार शाम भेजे गए एक ईमेल में कहा गया है, ‘आपका छोटा प्रतिनिधिमंडल (अधिकतम 10 व्यक्ति) सरकारी प्रतिनिधियों से मिलने के लिए ‘नबान्न’ का दौरा कर सकता है।’


    साल्ट लेक में ‘स्वास्थ्य भवन’ स्थित राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय के सामने धरना देने वाले प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के नेता डॉ. देबाशीष हलदर ने कहा, ‘ईमेल की भाषा न केवल हम चिकित्सकों के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह पूरी तरह से असंवेदनशील है। हमें इस मेल का जवाब देने का कोई कारण नहीं दिखता।’

    चिकित्सकों ने बताया कि हालांकि राज्य के सर्वोच्च प्राधिकारियों के साथ बातचीत के लिए ‘दरवाजे खुले हैं’, लेकिन वे अपनी मांगें पूरी होने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

    जूनियार डॉक्टरों ने आरजी कर अस्पताल की एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के विरोध में एक महीने से अधिक समय से ‘काम बंद’ किया हुआ है। इन प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने उनके काम पर लौटने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित शाम पांच बजे की समयसीमा का पालन नहीं किया। इन प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने ‘स्वास्थ्य भवन’ के समक्ष डटे रहने तथा अपनी मांगों पर दबाव बनाए रखने की अपनी मंशा का संकेत दिया।

    इससे पहले दिन में निकाले गए ‘स्वास्थ्य भवन की सफाई’ मार्च में, आंदोलनकारी चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएचई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने इसके अलावा अपने पांच सूत्री मांगपत्र के तहत कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाए जाने पर भी जोर दिया।

    प्रदर्शनकारियों ने भी राज्य प्रशासन को अपनी मांगों पर कार्रवाई करने के लिए शाम पांच बजे तक की समयसीमा दी थी। वहीं, उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के काम पर लौटने के लिए शाम पांच बजे की समयसीमा दी थी।

    पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने शाम साढ़े सात बजे के बाद ‘नबान्न’ से मीडिया को संबोधित करते हुए दावा किया कि मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी चिकित्सकों की ओर शांति की पहल करके ‘सकारात्मक दृष्टिकोण’ अपनाया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री बनर्जी के पास है।

    भट्टाचार्य ने कहा, ‘ईमेल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट की आधिकारिक आईडी पर शाम करीब 6.10 बजे भेजा गया था। मुख्यमंत्री चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के बैठक के लिए आने का इंतजार कर रही थीं। प्रदर्शनकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण वह शाम 7.30 बजे अपने कार्यालय से चली गईं।’ हालांकि, चिकित्सकों ने कहा कि उन्हें मेल की भाषा अपमानजनक लगी क्योंकि सरकार ने प्रतिनिधियों की संख्या 10 तक सीमित कर दी थी।

    हलदर ने कहा, ‘इसके अलावा, यह ईमेल राज्य सचिवालय से नहीं आया। यह हमें स्वास्थ्य सचिव द्वारा भेजा गया था, जिनका हम इस्तीफा चाहते हैं। यह अपमानजनक है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा विरोध प्रदर्शन और हमारा ‘काम बंद’ जारी रहेगा।’ उन्होंने साथ ही राज्य स्वास्थ्य मुख्यालय के सामने एक और धरना देने का संकेत दिया।

    इस बीच, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने धमकी की संस्कृति को बढ़ावा देने और संस्थान के लोकतांत्रिक माहौल को खतरे में डालने को लेकर 51 चिकित्सकों को नोटिस जारी किया है और उन्हें 11 सितंबर को जांच समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा है।

    अस्पताल के अधिकारियों द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि उन्हें समिति के समक्ष अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। आरजी कर अस्पताल की विशेष परिषद समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, उन 51 डॉक्टरों के लिए संस्थान के परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित है, जब तक कि जांच समिति द्वारा उन्हें नहीं बुलाया जाता।

    अस्पताल के प्राचार्य द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है कि इन डॉक्टरों के कॉलेज की गतिविधियों में भाग लेने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। सूची में वरिष्ठ रेजिडेंट, हाउस स्टाफ, इंटर्न और प्रोफेसर शामिल हैं। आरजी कर अस्पताल में महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर की मौत के बाद नौ अगस्त से जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

    महिला चिकित्सक से ड्यूटी के दौरान कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना से देश भर में आक्रोश फैल गया और प्रदर्शन हुए।

    सिलीगुड़ी स्थित नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज ने एक अधिसूचना जारी कर अधिकारियों और अन्य छात्रों को धमकाने के आरोप में एमबीबीएस के तीसरे वर्ष के पांच छात्रों को निष्कासित कर दिया। इसने कहा, ‘उन्हें छात्रावास खाली करने और मेडिकल कॉलेज परिसर छोड़ने के लिए भी कहा गया है।’

    आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को वित्तीय अनियमितताओं के एक मामले में मंगलवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने उनके सुरक्षाकर्मी अफसर अली और दो कथित सहयोगियों (चिकित्सकीय उपकरण विक्रेता बिप्लब सिन्हा और दवा दुकान के मालिक सुमन हाजरा) को भी 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

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