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    RSS चीफ मोहन भागवत का बयान, बोले- ‘कुछ तत्व नहीं चाहते भारत आगे बढ़े, अब इनसे धर्म की शक्ति से निपटना होगा’

  • September 10, 2024

    नई दिल्‍ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है. RSS चीफ ने कहा, कुछ तत्व नहीं चाहते कि भारत का विकास हो और आगे बढ़े. वे विकास के रास्ते में बाधा पैदा कर रहे हैं, लेकिन किसी से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के समय भी ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन धर्म की शक्ति का उपयोग करके इससे निपटा गया था.

    संघ प्रमुख यहां लेखक डॉ. मिलिंद पराडकर द्वारा लिखित ‘तंजावरचे मराठे’ नामक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, धर्म का मतलब सिर्फ पूजा (अनुष्ठान) नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है जिसमें सत्य, करुणा, ‘तपश्चर्या’ (समर्पण) शामिल है.

    पहले बड़े पैमाने पर आक्रमण होते थे…
    उन्होंने कहा कि ‘हिंदू’ शब्द एक विशेषण है जो विविधताओं को स्वीकार करने का प्रतीक है और इस बात पर जोर दिया कि भारत एक उद्देश्य के लिए और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (दुनिया एक परिवार है) के विचार को आगे बढ़ाने के लिए अस्तित्व में आया है. भागवत ने बताया कि अतीत में भारत पर बड़े पैमाने पर ‘बाहरी’ आक्रमण दिखाई देते थे, इसलिए लोग सतर्क थे, लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में प्रकट हो रहे हैं.


    मोहन भागवत ने सुनाई ताड़का और पूतना की कहानी
    मोहन भागवत ने ताड़का और पूतना की कहानी भी सुनाई और कहा, जब ताड़का ने (रामायण में एक राक्षसी) आक्रमण किया तो बहुत अराजकता फैल गई और वो सिर्फ एक तीर (राम और लक्ष्मण द्वारा) से मारी गई, लेकिन पूतना (राक्षसी, जो शिशु कृष्ण को मारने के लिए आई थी) मौसी का भेष बदलकर आई थी. उसने (शिशु कृष्ण को) स्तनपान कराना था, लेकिन चूंकि वो कृष्ण थे (जिन्होंने उसे मार डाला).

    आरएसएस चीफ ने आगे कहा, आज की स्थिति भी वैसी ही है. आक्रमण हो रहे हैं और वे हर तरह से विनाशकारी हैं, चाहे वो आर्थिक हो, आध्यात्मिक हो या राजनीतिक. उन्होंने कहा कि कुछ तत्व भारत के विकास की राह में बाधाएं पैदा कर रहे हैं और वैश्विक मंच पर इसके उदय से भयभीत हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे.

    ऐसे तत्व देश के विकास में बाधा
    उन्होंने कहा, जिन लोगों को डर है कि अगर भारत का बड़े पैमाने पर विकास हो गया तो उनके कारोबार बंद हो जाएंगे, ऐसे तत्व देश के विकास की राह में बाधा पैदा करने के लिए अपनी सारी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे व्यवस्थित हमले कर रहे हैं, चाहे वे फिजीकल हों या सूक्ष्म, लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी जब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी.

    भागवत ने कहा, ‘जीवनी शक्ति’ (जीवन को प्रभावित करने वाली शक्ति) नामक एक फैक्टर है जो भारत को परिभाषित करता है. ‘जीवन शक्ति’ हमारे राष्ट्र का आधार है और यह धर्म पर आधारित है जो हमेशा रहेगा. धर्म ‘सृष्टि’ (ब्रह्मांड) की शुरुआत में था और अंत तक इसकी (धर्म) जरूरत होगी. भारत एक बहुत भाग्यशाली और धन्य देश है.

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