पटना । बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की चार पार्टियों में सबसे ज्यादा 115 सीट लड़ने वाली नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइडेड (जेडीयू) के नेताओं में 2025 के चुनाव के लिए टिकट की बेचैनी बढ़ने लगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के करीबी और जेडीयू (JDU) के विधान पार्षद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कब्जे वाली बाढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का खुला ऐलान कर दिया है। बाढ़ सीट से भाजपा के ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू विधायक हैं जो पिछला चार चुनाव लगातार जीते हैं। पहली दो बार जदयू के टिकट पर और आखिरी दो बार बीजेपी के सिंबल पर।
एक समय रामविलास पासवान की लोजपा में रहे संजय काफी समय से जेडीयू में हैं और सीएम के करीबियों में गिने जाते हैं। संजय ने पटना में अपने आवास पर बाढ़ के लोगों के साथ एक मीटिंग में कहा कि वो बाढ़ से ही लड़ेंगे। उन्होंने बैठक में मौजूद लोगों से कहा- “बाढ़ से ही लड़ेंगे, चिंता मत करिए। आपको विश्वास दिलाते हैं। जब मन बन जाता है तो आगे क्या है युद्ध के मैदान में, घबराना नहीं चाहिए। मैदान में जब कूद गए हैं तो आप लोग का आशीर्वाद रहा तो अंतिम दम तक लड़ेंगे।”
बाढ़ सीट पर संजय सिंह के दावे पर बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा है कि टिकट मिलने का सवाल कहां से पैदा होता है। ज्ञानू ने कहा- “जितना बाबू साहब लोग है, चाहे रहने वाला किसी कोने का हो, सब चाहता है बाढ़ से विधायक हो जाएं। बाढ़ से विधायक होना कितना मुश्किल है। हम चार बार से विधायक हैं। जनता और कार्यकर्ता का प्रेम और स्नेह है। टिकट मिलने का सवाल कहां से पैदा होता है।” ज्ञानू और संजय दोनों राजपूत जाति से आते हैं। राजपूत जाति के लोगों को आम बोल-चाल में बाबू साहब भी कहा जाता है।
हालांकि संजय सिंह की दावेदारी का जेडीयू में ही विरोध हो गया है। जेडीयू के प्रदेश महासचिव रह चुके शंकर सिंह ने उनसे पूछा है कि वो बताएं कि उन्होंने बाढ़ के लिए क्या किया है। जेडीयू के जिलाध्यक्ष अशोक चंद्रवंशी ने दावा को बेसमय की शहनाई बताते हुए पूछा कि बाढ़ के कैंडिडेट का बैठक पटना में होगा क्या?
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए संग नहीं थे। चिराग अकेले लड़ रहे थे जबकि कुशवाहा मायावती और असदुद्दीन ओवैसी के साथ मोर्चा बनाकर उतरे थे। अब दोनों भाजपा और एनडीए के साथ हैं। मुकेश सहनी तब एनडीए के साथ थे और अभी तक महागठबंधन के साथ हैं लेकिन राजग में वापसी की चर्चा चल रही है। ऐसे में एनडीए कैंप में सीट बंटवारा बहुत माथापच्ची का काम होने जा रहा है। पहले तो कौन पार्टी कितनी सीट लड़े और फिर किस सीट से कौन पार्टी लड़े, ये भाजपा और जेडीयू के लिए चुनौतीपूर्ण मसला साबित होगा।
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