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    उज्जैन के गांव देंगे ‘अतिथि देवो भव:’ का भाव… पर्यटन विभाग ने सिंहस्थ को लेकर तैयार किया रूरल होम स्टे प्लान

  • September 03, 2024

    • पायलट प्रोजेक्ट के तहत 2 गांवों में प्राथमिक रूप से शुरू हुआ काम, एमपी टूरिज्म बोर्ड करीब 6 गांवों में तैयार करेगा रूरल होम स्टे

    इंदौर (Indore), नासेरा मंसूरी। उज्जैन में सिंहस्थ (Simhasth in Ujjain) को देखते हुए पर्यटन विभाग ने भी तैयारी शुरू कर दी है। यहां धार्मिक पर्यटन (Religious tourism) में एकाएक हुई वृद्धि और सिंहस्थ को देखते हुए विभाग उज्जैन (Ujjain) के आसपास के गांवों में रूरल होम स्टे तैयार कर रहा है। प्राथमिक रूप से पायलट प्रोजेक्ट के तहत उज्जैन से लगे कामेड़ और उंडासा गांवों में सबसे पहले रूरल होम स्टे तैयार किए जाएंगे, जिसके लिए आर्किटेक्चर सर्वे शुरू हो चुका है।

    एमपी टूरिज्म बोर्ड इस तरह के गांव को रूरल होम स्टे के लिए चुन रहा है, जहां आने वाले मेहमानों को धार्मिक महत्व के साथ ही ग्रामीण संस्कृति से भी सीधा रूबरू होने का मौका मिले। एमपी टूरिज्म बोर्ड ने पहले जिन दो गांवों को चुना है, उसमें से कामेड़, जो मंगलनाथ मंदिर के लिए मशहूर है, वो उज्जैन से करीब 5 किलोमीटर दूर है, वहीं दूसरे गांव उंडासा की दूरी उज्जैन से करीब 15 किलोमीटर है। एक गांव में विभाग कम से कम 6 और अधिक से अधिक 12 रूरल होम स्टे बनाने की तैयारी में है। यह पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होंगे, जिसके डिजाइन एमपी टूरिज्म बोर्ड ही तय करेगा। इन दो गांवों के अलावा भी विभाग उज्जैन के ही आसपास कम से कम 4 और गांवों में इस तरह से रूरल होम स्टे तैयार करने के प्रयास में है। फिलहाल एमपी टूरिज्म बोर्ड की टीम इसके लिए आसपास के गांवों में सर्वे कर रही है।


    सब्सिडी के साथ प्रशिक्षण और प्रचार भी
    एमपी टूरिज्म बोर्ड ने प्रदेश के कई इलाकों में इस तरह और भी रूरल होम स्टे तैयार किए हैं। एमपी टूरिज्म बोर्ड ग्रामीणों को इसे तैयार करने के लिए सब्सिडी तो देता ही है, प्रशिक्षण और प्रचार की जिम्मेदारी भी लेता है। एक रूरल होम स्टे की लागत कम से कम 5 लाख रुपए आती है। इसे तैयार करने वाले सामान्य वर्ग को बोर्ड 1-1 लाख की (यानी कुल खर्च का 40 फीसदी) सब्सिडी 2 बार में देता है, वहीं इसे तैयार करने वाले अगर जनजाति समुदाय से हैं, तो उन्हें 1.5-1.5 लाख की दो सब्सिडी दी जाती है।

    संस्कृति और रोजगार को बढ़ावा
    आमतौर पर विभाग यह देखता है कि रूरल होम स्टे के लिए ऐसी जगह को चुना जाए, जो प्रकृति के बेहद नजदीक हो, लेकिन उज्जैन चूंकि, एक धार्मिक क्षेत्र है, इसीलिए यहां ये भी ध्यान रखा गया है कि आने वाले मेहमान उज्जैन और यहां के धार्मिक महत्व से जुड़े रह सकें। कामेड़ का चुनाव इसका बेहतर उदाहरण है। यहां मेहमानों को ग्रामीण संस्कृति का भी अनुभव मिलेगा और यहां मंगलनाथ मंदिर होने से उज्जैन से जुड़े होने का अहसास भी होगा। इसके अलावा ग्रामीण संस्कृति, परिवेश, खान-पान, खेत-खलिहान और गांवों से जुड़े होने का अहसास भी होगा।

    ‘मार्च 2025 तक पूरे प्रदेश में हमने हर कैटेगरी के 1 हजार होम स्टे तैयार करने का लक्ष्य रखा है। उज्जैन में सिंहस्थ के चलते खास काम हो रहा है। इन 2 गांवों के अलावा 4 और गांव भी इसी तरह तैयार किए जाएंगे, ताकि आने वाले मेहमानों को एक अलग अनुभव प्राप्त हो सके। इनके संचालन के लिए हर गांव में एक ग्राम पर्यटन समिति भी बनाई जाती है, जिसे रजिस्टर्ड करवाया जाता है। इससे रूरल होम स्टे चलाने वाले से लेकर, गाइड, विलेज वॉक करवाने वालों से लेकर लोकगीत या लोकनृत्य करने वाले और अन्य एक्टिविटी करवाने वाले तक जुड़े होते हैं। यही समुदाय आधारित पर्यटन है।’
    – बिदिशा मुखर्जी, एएमडी (एमपी टूरिज्म बोर्ड)

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