नई दिल्ली: असम (Assam) में नमाज ब्रेक (Namaz Break ) पर रोक लगाए जाने के फैसले पर सियासी घमासान मचा है. जहां बीजेपी (BJP) नेता इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं वहीं विपक्षी दल इसपर निशाना साध रहे है. इसी क्रम में आरजेडी (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) ने फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा करते हैं.
असम में नमाज ब्रेक पर रोक लगाने को लेकर दिए गए राजद नेता तेजस्वी यादव के वार पर अब केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पलटवार किया है. प्रह्लाद जोशी ने कहा, “क्या राज्यसभा और लोकसभा नमाज पढ़ने के लिए है? यह तो तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा है. अगर मैं किसी देवी-देवता की अराधना के लिए कहूं कि गुरुवार को मुझे अवकाश दे दीजिए, क्या ऐसा चलेगा? ऐसे देश चलेगा क्या? रविवार को दुनिया मानती है और रविवार को ही अवकाश होना चाहिए. यह बेवकूफी है.”
नमाज ब्रेक पर लगी रोक की एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दलों जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी ने आलोचना की है. रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू नेता नीरज कुमार ने असम सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘ ये फैसला देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और हर धार्मिक संस्ता को अपनी परंपराओं को संरक्षित रखने का पूरा अधिकार है. हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है, क्या वहां बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है? मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरुरत है.’
लोक जनशक्ति पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई. राजू तिवारी ने कहा, ‘धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए.’ वहीं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘शुक्रवार की नमाज का अवकाश’ खत्म करने के असम विधानसभा के फैसले का शनिवार (31 अगस्त) को स्वागत किया. बिहार में अपने लोकसभा क्षेत्र बेगुसराय जिले में पत्रकारों से बात करते हुए, सिंह ने भाजपा शासित असम में इस कदम पर आपत्ति जताने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं की भी आलोचना की.
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