नई दिल्ली. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना (Shiv Sena) (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने महायुति सरकार (grand alliance government) के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन की घोषणा की है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने ऐलान किया है कि रविवार से “सरकार को जूते मारो आंदोलन” (‘Beat the government with shoes’) शुरू किया जाएगा.
संजय राउत ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा विवाद को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, “वो प्रतिमा हमारे लिए सिर्फ एक स्टैच्यू नहीं, बल्कि भगवान की मूर्ति है. इन लोगों ने हमारे भगवान की मूर्ति में भी भ्रष्टाचार कर दिया है. हम इसे सहन नहीं करेंगे और रविवार से सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे.”
महायुति सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान
राउत का यह बयान उस समय आया है जब महाराष्ट्र में महायुति सरकार के खिलाफ विपक्ष की नाराजगी और गुस्सा बढ़ता जा रहा है. शिवाजी महाराज की प्रतिमा में कथित भ्रष्टाचार को लेकर जनता के बीच भी नाराजगी है, जिसे लेकर उद्धव सेना ने सरकार के खिलाफ इस आंदोलन का ऐलान किया है. राउत ने आगे कहा कि यह आंदोलन सरकार की भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ है और इसे पूरे महाराष्ट्र में व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है.
शुक्रवार को हुई मामले में पहली गिरफ्तारी
बता दें कि महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में शुक्रवार को पहली गिरफ्तारी हुई है. कोल्हापुर से स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट को गिरफ्तार किया गया है. कोल्हापुर क्राइम ब्रांच ने सिंधुदुर्ग केस में शुक्रवार तड़के तीन बजे के आसपास स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल को गिरफ्तार किया.
पाटिल को मालवन पुलिस के साथ ज्वॉइंट ऑपरेशन के तहत गिरफ्तार किया गया. इसके बाद कोल्हापुर पुलिस ने आरोपी को मालवन पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने इससे पहले एफआईआर में कॉन्ट्रैक्टर और आर्किटेक्ट जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसलटेंट चेतन पाटिल को आरोपी बनाया था. एफआईआर में जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल पर लापरवाही और प्रतिमा के आसपास के लोगों को संभावित रूप से नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है.
कब हुआ था प्रतिमा का अनावरण?
सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण 4 दिसंबर, 2023 को किया गया था, जब सिंधुदुर्ग में पहली बार नौसेना दिवस समारोह का आयोजन किया गया था. प्रतिमा का मकसद मराठा नौसेना की विरासत और छत्रपति शिवाजी महाराज के समुद्री रक्षा और सुरक्षा में योगदान के साथ-साथ आधुनिक भारतीय नौसेना के साथ इसके ऐतिहासिक संबंध का सम्मान करना था. इस प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट और नेतृत्व इंडियन नेवी ने राज्य सरकार के सहयोग से किया था. सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए फंड मुहैया करवाया था.
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