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    INS Arighat:नौसेना को मिलेगी 3500 किमी तक मार करने वाली मिसाइलों से लैस घातक अरिघात परमाणु पनडुब्बी

  • August 29, 2024

    नई दिल्ली। 29 अगस्त का दिन देश की राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए बेहद अहम रहने वाला है। देश की दूसरी परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिघात (Arighat) राष्ट्र को समर्पित की जाएगी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 29 अगस्त को विशाखापत्तनम का दौरा करेंगे, जहां वे INS अरिघात को भारतीय नौसेना को सौंपेंगे। इस पनडुब्बी का निर्माण विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के नेवी शिप बिल्डिंग सेंटर (एसबीसी) में किया गया है। इससे पहले देश की पहली परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत 2009 में नौसेना में शामिल हुई थी।

    पहले नाम रखा गया था INS अरिदमन
    सूत्रों ने बताया कि INS अरिघात को एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत 2017 में लॉन्च किया गया था। पहले इसका नाम INS अरिदमन रखा गया था, जिसे बाद में बदल कर अरिघात कर दिया गया। 2017 से लगातार इसका ट्रायल किया जा रहा था। वहीं, अब इसे अब नौसेना में कमीशन की तैयारी की जा रही है। अरिघात दरअसल INS अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है। नई पनडुब्बी में 750 किलोमीटर की रेंज वाली के-15 बैलिस्टिक मिसाइलें लगी होंगी। आईएनएस अरिहंत में भी यही मिसाइलें लगी हैं, लेकिन अंतर यह होगा कि अरिघात ज्यादा क्षमता वाली मिसाइलें ले जा सकती है।

    भारत बना दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश
    सूत्रों ने बताया कि 2017 में अरिघात को लॉन्च करने के बाद इसमें रडार सिस्टम लगाया गया, साथ ही आधुनिक तकनीक वाले हथियारों से लैस किया गया। अरिघात के कई चरणों में समुद्री परीक्षण किए गए। सूत्रों के मुताबिक अरिहंत क्लास की कुल पांच पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है। भारतीय नौसेना जल्द ही तीसरी परमाणु पनडुब्बी भी शामिल करने वाली है, जिसका कोड नेम S3 है। इसके अलावा दो और पनडुब्बियां साल 2035-36 तक तैयार हो जाएंगी। भारतीय नौसेना ने इन दोनों पनडुब्बियों से लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों का परीक्षण किया है। आईएनएस अरिघात को पूर्ण रूप से स्वदेश में ही बनाया गया है। भारत देश में ही परमाणु और पारंपरिक दोनों ही तरह की पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। इन पनडुब्बियों के बनने के बाद देश के दोनों तटों पर दुश्मन हमला करने की भी कोशिश नहीं करेगा। अरिघात, अरिहंत की तरह समुद्र के अंदर से भी मिसाइल अटैक कर सकती है। अरिहंत से के-15 बैलिस्टिक मिसाइलों की सफल टेस्टिंग की जा चुकी है। जिसके साथ ही, भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बन चुका है।

    ये हैं INS अरिघात की खूबियां
    INS अरिघात का वजन 6000 टन है और इसकी लंबाई करीब 113 मीटर है। इसकी चौड़ाई 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर है। यह पानी के भीतर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है। साथ ही, लंबे समय तक यह पानी में डूबी रह सकती है। आईएनएस अरिघात में 12 के-15 सागरिका सबमैरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) तैनात की गई हैं। पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज 750 किलोमीटर है। इसके अलावा इसमें 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली चार K4 मिसाइलें भी लगी हैं। साथ ही, पनडुब्बी में छह 21 इंच के टॉरपीडो भी लगे हैं। इसके अलावा, कई टॉरपीडो ट्यूब हैं जिनका उपयोग टॉरपीडो, मिसाइल या समुद्री माइंस को तैनात करने के लिए किया जा सकता है। इस पनडुब्बी के अंदर एक न्यूक्लियर रिएक्टर भी लगाया गया है। यह परमाणु ईंधन का उपयोग करके इस पनडुब्बी को सतह पर 28 किमी/घंटा और पानी के भीतर 44 किमी/घंटा की रफ्तार देगा।

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