नई दिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government)ने 24 अगस्त को एकीकृत पेंशन योजना (Integrated Pension Scheme) को मंजूरी दे दी। इस नई व्यवस्था(the new order) को एक अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। केंद्र के द्वारा यह कदम सरकारी कर्मचारियों की नई पेंशन योजना (एनपीएस) में सुधार की लंबे समय से लंबित मांग के बाद उठाया गया है। कैबिनेट के फैसलों पर जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “सरकारी कर्मचारियों की ओर से एनपीएस (नई पेंशन योजना) में सुधार की मांग की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2023 में उस समय के वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के नेतृत्व में इस पर एक समिति बनाई थी। व्यापक परामर्श और चर्चा के बाद समिति ने एकीकृत पेंशन योजना की सिफारिश की है। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दे दी है।”
मोदी सरकार ने यूनीफाइड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को महीने की निश्चित पेंशन राशि देने का वादा पूरा किया है। हाल के चुनाव में कांग्रेस ने ओपीएस को मुद्दा बनाया था। अब मोदी सरकार ने इसकी काट निकाल ली है।बीजेपी को उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उसे इसका पूरा फायदा मिलेगा।
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी ओपीएस लागू नहीं की
ओपीएस ना लागू करने को लेकर लंबे समय से केंद्रीय कर्मचारी भी बीजेपी से नाराज चल रहे थे। दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इसका खासा असर देखने को मिल सकता है। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पुरानी पेंशन योजना बीजेपी को हराने का एक हथियार बन गई थी। हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने सरकार बनने पर ओपीएस लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी ओपीएस लागू नहीं की गई। मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने यह दांव खेला लेकिन कामयाब नहीं हो पाई।
लोकसभा चुनाव में ओपीएस बड़ा मुद्दा नहीं
लोकसभा चुनाव में ओपीएस बड़ा मुद्दा नहीं बन पाई। हालांकि सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी जाहिर भी थी। निरीक्षकों ने यह बात रखी थी कि आने वाले चुनावों में यह बड़ा मुद्दा हो सकता है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद इसका फायदा इन राज्यों में भी बीजेपी को मिल सकता है। वहीं इसी साल महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं।
कैबिनेट के फैसले के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, कांग्रेस ने राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में ओपीएस का वादा किया लेकिन फिर इसे लागू नहीं किया और जनता को ठगने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कर्मचारियों के प्रति हमेशा ही असंवेदनशील रही है। यह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में देखने को भी मिला।
यूपीएस के 5 पिलर:
सुनिश्चित पेंशन: यूपीएस के तहत कम से कम 25 साल नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट से पहले अंतिम 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन दिया जाएगा।
सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: इसमें पारिवारिक पेंशन की भी व्यवस्था की गई है। कर्मचारी के मूल वेतन का 60 प्रतिशत उसके बाद उसके परिवार को दिया जाएगा। कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में इसे तुरंत दिया जाएगा।
सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद रिटायरमेंट के मामले में यूपीएस में 10,000 रुपये प्रति माह की सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन का प्रावधान है।
महंगाई का भी ध्यान: सुनिश्चित पेंशन, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन के अलावा इस नई व्यवस्था में मंहगाई भत्ते का भी ध्यान रखा गया है।
ग्रेच्युटी: रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा। इसकी गणना रिटायरमेंट की तिथि पर प्रत्येक पूर्ण छह महीने की सेवा के लिए मासिक पारिश्रमिक (वेतन + महंगाई भत्ता) का 1/10वां हिस्सा होगा। इस भुगतान से पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना (एनपीएस) में बने रहने या एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) में शामिल होने का फैसला करने का अधिकार होगा।
यह उन सभी कर्मचारियों पर भी लागू होगा जो 2004 के बाद से एनपीएस के तहत पहले ही रिटायर हो चुके हैं। हालांकि नई योजना 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी, लेकिन एनपीएस के तहत इसकी शुरुआत के समय से रिटाययर होने वाले सभी लोग और 31 मार्च, 2025 तक रिटायर होने वाले लोग भी यूपीएस के इन सभी पांच लाभों के लिए पात्र होंगे।
एनपीएस क्या है?
जनवरी 2004 में शुरू की गई राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) मूल रूप से सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट योजना है। बाद में 2009 में इसे अन्य सभी क्षेत्रों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया। एनपीएस पर्याप्त निवेश लाभ की क्षमता के साथ पेंशन का आश्वासन देता है।
रिटारमेंट के बाद कर्मचारियों को अपने संचित कोष का एक हिस्सा निकालने का विकल्प होता है, जबकि शेष राशि मासिक आय के रूप में वितरित की जाती है। एनपीएस को दो स्तरों में विभाजित किया गया है। टियर 1 खाते और टियर 2 खाते। जो व्यक्ति टियर 1 खाता चुनते हैं, वे सेवानिवृत्ति के बाद ही नकद निकाल सकते हैं। टियर 2 खाते जल्दी निकासी की अनुमति देते हैं।
आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीडी के तहत एनपीएस में निवेश करने पर 1.5 लाख रुपये तक का कर लाभ मिलता है। एनपीएस कोष का 60 प्रतिशत निकालने पर यह कर-मुक्त हो जाता है।
एनपीएस पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से कैसे अलग?
एनपीएस ने पुरानी पेंशन योजना की जगह ली थी। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) कर्मचारी द्वारा प्राप्त किए गए अंतिम वेतन पर आधारित थी। OPS के तहत कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत निकाल सकता है।
NPS के तहत किसी व्यक्ति को रिटायरमेंट के समय तक योगदान किए गए संचित कोष का 60 प्रतिशत निकालने की अनुमति है। यह कर-मुक्त राशि है। शेष 40 प्रतिशत को पेंशन में परिवर्तित किया जाता है।
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