नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मिले आश्वासन के बाद गुरुवार को दिल्ली के एम्स (AIIMS), राम मनोहर लोहिया अस्पताल (Ram Manohar Lohia Hospital), लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज तथा दिल्ली सरकार के इंदिरा गांधी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (Resident Doctors Association- RDA) ने अपनी हड़ताल खत्म करने की घोषणा (Announcement of ending the strik) की। इन सभी अस्पतालों के डॉक्टर्स कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप व मर्डर की वारदात के विरोध में पिछले 11 दिनों से हड़ताल पर थे। इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम शुरू करने को कहा था और उन्हें आश्वासन दिया था कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, साथ ही कोर्ट ने सरकारों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया था।
इन अस्पतालों के अलावा ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन’ (फेमा) ने भी गुरुवार को अपनी हड़ताल खत्म कर दी। सुप्रीम कोर्ट से मिले सकारात्मक निर्देशों के बाद अन्य रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा अपनी हड़ताल समाप्त करने के बाद फेमा ने यह कदम उठाया।
हड़ताल खत्म करने के बारे में एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने ‘एक्स’ पर एक प्रेस नोट जारी करते हुए जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘राष्ट्र हित में और जन सेवा की भावना से RDA (रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) एम्स, नई दिल्ली ने 11 दिवसीय हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है।’
प्रेस नोट के मुताबिक ‘RDA ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की अपील और आश्वासन को देखते हुए लिया है। हम आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना का संज्ञान लेने और देश भर में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के व्यापक मुद्दे पर हस्तक्षेप करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हार्दिक सराहना करते हैं और उसके निर्देशों का पालन करने का आह्वान करते हैं। मरीजों की देखभाल करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।’
डॉक्टर्स के शीर्ष संगठन फेमा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘फेमा ने प्रधान न्यायाधीश के सकारात्मक निर्देशों के बाद हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है। हम अंतरिम सुरक्षा और अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की हमारी प्रार्थनाओं को स्वीकार किए जाने का स्वागत करते हैं। एकजुट होकर, हम कानूनी रूप से लड़ाई जारी रखेंगे।’
उधर राममनोहर लोहिया अस्पताल की ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ ने एक बयान में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के दखल और उनकी मांगों के समाधान की दिशा में हुई प्रगति के मद्देनजर वे शुक्रवार सुबह आठ बजे से काम पर लौटेंगे।
इससे पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने घटना के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान सभी संबंधित पक्षों की दलीलें विस्तारपूर्वक सुनीं। 9 अगस्त को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद देशभर के अस्पतालों में मरीजों की समस्याओं पर गौर करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने पीठ की ओर डॉक्टर से भावनात्मक अपील करते हुए कहा, “न्याय और चिकित्सा हड़ताल पर नहीं जा सकते। क्या हम अब उच्चतम न्यायालय के बाहर जाकर बैठ सकते हैं?”
पीठ ने अपने आदेश में कहा ‘डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि उनमें से कुछ पर पिछले दिनों हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण कार्रवाई की जा रही है। हमें आश्वासन दिया गया है कि डॉक्टर काम पर वापस लौट आएंगे… और आज (22 अगस्त 2024) के आदेश के बाद काम पर वापस आने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।’
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