नई दिल्ली: अगर आपका बॉस आपको कोई टारगेट दे और उसकी टाइमलाइन भी फिक्स कर दे, तब आपके ऊपर उस काम को करने का बहुत प्रेशर होता है. ये बात सिर्फ प्राइवेट जॉब में लागू नहीं होती, बल्कि सरकारी मंत्रालयों में भी अधिकारियों को मंत्रियों के आदेश पर इसी तरह काम करना होता है. जैसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट में उनके मंत्रालय के तहत आने वाले एक विभाग को 6 महीने में एक बेहद जरूरी काम को निपटाने का आदेश दिया, जिसे तय समय में पूरा करने के लिए अधिकारी भी जी जान से जुटे हैं.
दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने जब 2024-25 का पूर्ण बजट पेश किया था, तब उन्होंने कहा था कि सरकार देश में डायरेक्ट टैक्स को आसान बनाने की कोशिश कर रही है. इसलिए सरकार आयकर कानून 1961 की समीक्षा 6 महीने के भीतर करेगी. अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अधिकारी इसमें जी जान से जुटे हैं. सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल का कहना है कि आयकर कानून-1961 की समीक्षा का काम 6 महीनों की निर्धारित समयसीमा में पूरा कर लिया जाएगा आयकर विभाग का नियंत्रण सीबीडीटी ही करता है.इसलिए उससे जुड़ी किसी भी नीति या किसी भी बदलाव पर आखिरी फैसला सीबीडीटी ही करती है.
सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल का कहना है कि उनकी टीम के पास इनकम टैक्स कानून के रिव्यू का बड़ा काम है. इसका मकसद देश में टैक्स से जुड़ी मुकदमेबाजी को कम करना और टैक्सपेयर्स को राहत प्रदान करना है. रवि अग्रवाल ने कहा कि सीबीडीटी ने इसके लिए मिशन मोड में काम शुरू कर दिया है. यह काम चुनौतीपूर्ण और बड़ा बदलाव लाने वाला है.
सीबीडीटी चेयरमैन का कहना है कि देश में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की नई व्यवस्था कुछ साल पहले शुरू की गई थी. ये लोगों को बहुत पसंद आ रही है. करीब 72 प्रतिशत टैक्सपेयर्स ने इसे चुना है. रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई तक 58.57 लाख लोगों ने पहली बार आयकर रिटर्न दाखिल किए. अब तक फेस-लैस सिस्टम के तहत कुल 6.76 लाख इनकम टैक्स एसेसमेंट पूरे किए गए हैं, जबकि जुलाई तक 2.83 लाख अपीलों को अंतिम रूप दिया गया.
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