नई दिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी (Suresh Gopi) ने बुधवार को साफ शब्दों में कहा कि अभिनय उनका जुनून है और अगर उन्हें फिल्में (Movie) करने से रोका गया तो वह जीवित नहीं रह पाएंगे। अभिनेता से नेता बने गोपी केरल से भाजपा (BJP) के पहले सांसद हैं। वह त्रिशूर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। गोपी पर्यटन राज्य मंत्री भी हैं।
तिरुवनंतपुरम में केरल फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोपी ने कहा, “फिल्म मेरा जुनून है। अगर कोई फिल्म नहीं बनी तो मैं मर जाऊंगा। मैंने ओट्टाकोम्बन फिल्म में अभिनय करने की अनुमति मांगी है। मुझे अभी तक अनुमति नहीं मिली है, लेकिन 6 सितंबर को मैं ओट्टाकोम्बन शुरू कर रहा हूं।”
उन्होंने कहा, “मैंने करीब 20 से 22 फिल्मों में अभिनय करने के लिए सहमति व्यक्त की है। जब मुझसे पूछा गया कि कितनी फिल्में लंबित हैं, तो मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कहा कि मैंने करीब 20 से 22 फिल्मों में अभिनय करने के लिए सहमति व्यक्त की है। इसके बाद अमित शाह ने उस कागज को फेंक दिया। मैं हमेशा अपने नेताओं का कहना मानूंगा। लेकिन फिल्म मेरा जुनून है, नहीं तो मैं मर जाऊंगा।”
उन्होंने कहा, “मंत्री का काम करने के लिए मैं मंत्रालय से तीन या चार लोगों को फिल्म शूटिंग के दौरान ले जाऊंगा। मैं उन्हें एक कारवां दूंगा। अगर वे मुझे इसके लिए वापस भेज देते हैं तो मुझे लगेगा कि मैं भाग गया हूं। तब मुझे त्रिशूर के लोगों के लिए अधिक समय मिलेगा। कैबिनेट बर्थ मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं दी गई थी। मेरी कुर्सी उन लोगों के लिए एक उपहार है, जिन्होंने भाजपा को चुना है।”
‘त्रिशूर के लिए केंद्रीय मंत्री, मोदी की गारंटी’ के नारे के साथ चुनाव लड़ने वाले सुरेश गोपी को जब कैबिनेट में शामिल किया गया था तो उन्होंने अपने स्टैंड से पार्टी को असहज किया था। केंद्रीय मंत्रालय में शामिल होने के तुरंत बाद गोपी ने मीडिया से कहा था, “मैं एक सांसद के रूप में काम करना चाहता हूं। मेरा रुख था कि मुझे कैबिनेट बर्थ नहीं चाहिए। मैंने पार्टी को बता दिया था कि मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे लगता है कि मुझे जल्द ही राहत मिलेगी। त्रिशूर के लोग बहुत अच्छी तरह जानते हैं। मैं एक सांसद के रूप में बहुत अच्छा प्रदर्शन करूंगा। मैं फिल्मों में अभिनय करना चाहता हूं। पार्टी को फैसला करने दीजिए।”
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