मास्को: रूस को 20 साल पहले ऐसा जख्म मिला था, जिसकी टीस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिल में अब भी ताजा है. पुतिन 20 अगस्त को बेसलान शहर में एक स्मारक पर पहुंचे. इस दौरान उनकी आंखों में आंसू साफ दिख रहे थे. वह यहां स्मारक के सामने घुटनों के बल और फिर मुठ्ठी बांधकर बदले की कसम खाई. दरअसल यह स्मारक उन 333 लोगों की याद में बना गया था, जिनकी बेसलान शहर में एक स्कूल पर हुए आतंकी हमले में मौत हो गई थी.
वर्ष 2004 में 1 सितंबर को स्कूल का पहला दिन था. सुबह के 9 बज रहे थे, तभी चेचन बागियों का समूह वहां घुस आया था. इन हथियारबंद आतंकियों ने वहां बच्चों सहित एक हजार लोगों को बंदी बना लिया था. इन बंधकों को छुड़ाने के लिए भरसक प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली. आखिर में इस बंधक के तीसरे दिन रूसी सैनिक स्कूल में दनादनाती हुई घुस गई. इस दौरान हुई फायरिंग में सभी 31 आतंकी को मार गिराए गए, लेकिन इस दौरान 333 आम लोगों की भी जान चल गई थी. मृतकों में 186 बच्चे भी शामिल थे.
रूस में इसे लेकर खूब बवाल मचा और राष्ट्रपति पुतिन के इस एक्शन पर कई लोगों ने सवाल उठाए. इन हमले में अपनों को गंवाने वाली महिलाओं ने इंसाफ की मांग को लेकर मदर ऑफ बेसलान नामक एक समूह बनाया था. पुतिन मंगलवार को इन्हीं से मिलने के लिए बेसलान पहुंचे थे. मदर ऑफ बेसलान समूह की को-फाउंडर एनेटा गादियेवा ने इस हमले में अपनी नौ साल की बेटी को खोया था.
उन्होंने रूसी मीडिया आउटलेट एजेंटस्टोवो को बताया कि महिलाओं ने राष्ट्रपति से हमले की जांच को लेकर शिकायत की. यह जांच अभी तक आधिकारिक तौर पर बंद नहीं हुई है. महिलाओं ने 2005 में पुतिन द्वारा बेसलान की घटना की ‘पूरी सच्चाई’ बताने के वादे को याद दिलाया. उन्होंने बताया कि इसके जवाब में पुतिन ने कहा कि उन्हें जांच की पूरी जानकारी नहीं है. पुतिन ने रूसी जांच कमेटी के प्रमुख एलेक्जैंडर बास्त्रीकिन को सलाह दी कि वे इस मामले को देखें और आगे क्या हो रहा है, इस पर नजर रखें.
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