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    नीरज चोपड़ा के ‘गुरु’ ने भाला फेंकने में बनाया था महारिकॉर्ड, 40 साल बाद भी कोई नहीं तोड़ पाया!

  • August 19, 2024

    नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक 2024 (paris olympics 2024) में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा का जैवलिन थ्रो (Javelin Throw) को देश की मुख्यधारा में लाने में अहम योगदान रहा है. नीरज चोपड़ा ने कई कोचों की गाइडेंस से अपनी थ्रो को बेहतर किया है. उनमें से एक थे उवे होन (Uwe Hohn). उवे होन, जर्मन ट्रैक एंड फील्ड स्टार हैं जो 100 मीटर से भी दूर भाला फेंकने वाले इकलौते एथलीट हैं. उनके 100 मीटर के रिकॉर्ड को अब तक कोई नहीं भेद पाया है. इस बार के पेरिस ओलंपिक में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर की थ्रो के लिए गोल्ड मेडल जीता था. आइए जानते हैं उवे होन का रिकॉर्ड 40 साल बाद भी क्यों नहीं टूटा.

    उवे होन ने 2017-18 में भारत के खिलाड़ियों को ट्रेन किया था. उन्होंने ओलंपिक स्टार नीरज चोपड़ा, शिवपाल सिंह और अन्नू रानी को ट्रेन किया था.उवे होन के मार्गदर्शन में नीरज चोपड़ा ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और 2018 एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था. भाला फेंक को एक खेल के रूप में पहली बार 708 ईसा पूर्व में ग्रीस में प्राचीन ओलंपिक में पेश किया गया था. यह दौड़, डिस्कस थ्रो, लंबी कूद और कुश्ती के साथ-साथ पेंटाथलॉन स्पर्धा का हिस्सा था.


    मूल भाला जैतून की लकड़ी से बना था. इसके बाद कई सालों तक ओलंपिक हुए ही नहीं. खेलों को जब फिर से शुरू किया गया तब जेवलिन थ्रो को 1908 में लंदन में आयोजित तीसरे संस्करण से जगह मिली. आमतौर पर जेवलिन थ्रो में भाले को बीच में से पकड़ा जाता है. लेकिन 1908 लंदन ओलंपिक में ऐसा नहीं था. ओलंपिक में फ्रीस्टाइल जेवलीन थ्रो पहली और इकलौती बार 1908 में शामिल किया गया था. फ्रीस्टाइल थ्रो में किसी भी जगह से भाला पकड़ सकते हैं. उस साल एक स्वीडिश खिलाड़ी ने स्टैंडर्ड थ्रो में 54.482 मीटर दूर भाला फेंककर नया विश्व और ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया था.

    उवे होन का जन्म 16 जुलाई, 1962 को तत्कालीन पूर्वी जर्मनी में हुआ था. बचपन में 1972 ओलंपिक की डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद उन्होंने पहली बार 100 मीटर थ्रो के बारे में सोचा था. जब वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगे थे, तब वर्ल्ड रिकॉर्ड 99.72 मीटर था. उवे होन का 100 मीटर दूर भाला फेंकने का सपना 14 साल बाद पूरा हुआ. 20 जुलाई, 1984 को बर्लिन में ओलंपिक दिवस की एथलेटिक्स प्रतियोगिता आयोजित हुई थी. उसमें उवे होन ने 104.80 मीटर की जबरदस्त थ्रो करके गोल्ड मेडल जीता था. इससे पहले और इसके 40 साल बाद भी कोई इस रिकॉर्ड के आसपास नहीं पहुंच पाया है. उवे होन ने उस साल 99.72 मीटर का मौजूदा विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था, जो एक साल पहले अमेरिका के टॉम पेट्रानोफ़ ने बनाया था. हालांकि, यह रिकॉर्ड केवल 1986 तक विश्व रिकॉर्ड रहा था.

    दरअसल, 1986 में जेवलिन की बनावट और खेल के नियमों में बदलाव किए गए थे. उस समय यह आम बात थी कि भाला फेंकने के बाद वो जमीन में गढ़ने की बजाय आगे घसीटता हुआ जाता था. इससे दूरी नापने में दिक्कत होती है. इसके अलावा, कभी-कभी भाला इतना तेज फेंका जाता था कि स्टेडियम ही छोटे पड़ जाते थे. इस सब को ध्यान में रखकर जेवलिन की बनावट बदली गई. उसकी सेंटर ऑफ ग्रेविटी को आगे खिसकाया गया, ताकि वो जमीन पर सीधा लैंड करे और कम दूरी तक जाए.

    इस सब बदलावों की वजह से कारण रिकॉर्ड बुक को रीसेट करने की जरूरत थी. लेकिन उवे होन के थ्रो के सम्मान में उनके रिकॉर्ड को अनंत, अविनाशी, शाश्वत घोषित कर दिया गया. ओलंपिक की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार,चेक एथलीट जान ज़ेलेज़नी के नाम भाला फेंक का वर्तमान विश्व रिकॉर्ड है, जो उन्होंने 1996 में जर्मनी में एक एथलेटिक्स मीट के दौरान 98.48 मीटर थ्रो के साथ दर्ज किया था.

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