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    Jharkhand: पार्टी में अपमानित महसूस कर रहे चंपाई सोरेन, दल बदल की अटकलों के बीच मांझी ने किया एनडीए में स्वागत

  • August 19, 2024

    रांची। झारखंड ( Jharkhand) के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha-JMM) के विधायक चंपाई सोरेन (MLA Champai Soren) के पार्टी में अपमानित और निराश होने की सार्वजनिक घोषणा के बाद रविवार को केन्द्रीय मंत्री जीतन राम माझी (Union Minister Jitan Ram Majhi) ने ‘केन्द्र में सत्तारुढ राजग परिवार में उनका स्वागत किया।’ सोरेन रांची से रविवार को ही नई दिल्ली पहुंचे थे और पिछले कुछ दिनों से उनके भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party-BJP) में शामिल होने की चर्चाओं के बीच उन्होंने झामुमो में अपने साथ अपमानजनक व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया में एक लंबा पोस्ट लिखा जिसमें उन्होंने पार्टी से अपने दुराव का ठोस संकेत दिया है।


    उनके पोस्ट के बाद केन्द्रीय सूक्ष्म लघु एवं मझोले उद्यम विभाग के मंत्री माझी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा ‘चंपाई दा आप टाइगर थे, टाइगर हैं और टाइगर ही रहेंगे, NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) परिवार में आपका स्वागत है, जोहार टाइगर ….चंपाई सोरेन।’

    सोरेन ने अपने लंबे पोस्ट के आखिर में लिखा है एक बात और, यह मेरा निजी संघर्ष है इसलिए इसमें पार्टी के किसी सदस्य को शामिल करने अथवा संगठन को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। जिस पार्टी को हमने अपने खून-पसीने से सींचा है उसका नुकसान करने के बारे में तो कभी सोच भी नहीं सकते। लेकिन, हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि… उन्होंने लिखा जोहार साथियों, आज समाचार देखने के बाद, आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे। आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है।

    उन्होंने लिखा कि राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं। किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ अपने बेहतर भवष्यि के सपने देखे थे। उन्होंने कहा कि इसी बीच 31 जनवरी को, एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद, इंडिया गठबंधन ने मुझे झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा करने के लिए चुना। अपने कार्यकाल के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन (03 जुलाई) तक मैंने पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। इस दौरान हमने जनहित में कई फैसले लिए और हमेशा की तरह हर किसी के लिए सदैव उपलब्ध रहा।

    सोरेन ने लिखा कि बड़े-बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों एवं समाज के हर तबके तथा राज्य के हर व्यक्ति को ध्यान में रखते हुए हमने जो निर्णय लिए उसका मूल्यांकन राज्य की जनता करेगी। उन्होंने कहा कि जब सत्ता मिली तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था। झारखंड का बच्चा-बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान मैंने कभी भी किसी के साथ ना गलत किया ना होने दिया।

    उन्होंने लिखा कि इसी बीच हूल दिवस के अगले दिन मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शक्षिकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 03 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।

    उन्होंने कहा कि क्या लोकतंत्र में इससे अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे , अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा। लेकिन उधर से साफ इंकार कर दिया गया।

    चंपाई ने कहा कि पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में मैं पहली बार भीतर से टूट गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा। सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता। अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता।

    पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वर्षों से पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक नहीं हो रही है और एकतरफा आदेश पारित किए जाते हैं तो फिर किस से पास जाकर अपनी तकलीफ बताता। इस पार्टी में मेरी गिनती वरष्ठि सदस्यों में होती है बाकी लोग जूनियर हैं और मुझ से सीनियर सुप्रीमो जो हैं वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं फिर मेरे पास क्या विकल्प था, अगर वे सक्रिय होते तो शायद अलग हालात होते।

    उन्होंने कहा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था। पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है कोई अस्तत्वि ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।

    चंपाई ने कहा कि मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि ‘आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।’ इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा इस राह में अगर कोई साथी मिले तो उसके साथ आगे का सफर तय करना। उस दिन से लेकर आज तक तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। आपका, चम्पाई सोरेन।

    गौरतलब है कि झामुमो के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के धनशोधन मामले में कुछ महीने पहले इस्तीफे के बाद चंपाई सोरेन को पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुना था। हेमंत सोरेन ने जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद दोबारा मुख्यमंत्री पद संभाल लिया है। चंपाई सोरेन ने अभी तक अपने इस्तीफे के बारे में कोई स्पष्ट शब्दों में घोषणा नहीं की है और भाजपा की तरफ से भी इस संबंध में कोई बयान नहीं आया है।

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