• img-fluid

    अधिकतर दवाइयां कड़वी क्यों होती हैं? जानिए हेल्थ एक्सपर्ट की राय हेल्थ एक्सपर्ट

  • August 15, 2024

    नई दिल्‍ली। दवा (medicines) को जीभ पर रखने के दौरान ही लोगों को उसका कड़वापन महसूस होने लगता है. कई बार दवा खाने के बाद भी मुंह कड़वा रहता है. सर्दी-खांसी, बुखार (cold, cough, fever) से लेकर सभी बीमारियों की दवाओं का स्वाद कड़वा और अजीबोगरीब होता है. जबकि कुछ दवाएं खाने पर मीठा स्वाद आता है. क्या आपने कभी सोचा है कि अधिकतर दवाएं कड़वी क्यों होती हैं?



    वैसे भी स्वास्थ्य समस्याएं होने पर लोगों को डॉक्टर दवाएं देते हैं. दवाएं खाते समय अगर मुंह में घुल जाएं, तो घंटों हमारे मुंह का स्वाद कड़वा रहता है. अत्यधिक दवाएं बेहद कड़वी होती हैं, जिसकी वजह से कई लोग दवाएं खाने से डरते हैं. कुछ दवाएं मीठी होती हैं और उनका स्वाद खराब नहीं होता है. अधिकतर लोगों के दिमाग में कभी न कभी यह सवाल उठता है कि ज्यादातर दवाएं कड़वी क्यों होती हैं? सवाल यह भी है कि कुछ दवाओं का स्वाद मीठा कैसे हो जाता है. इन सभी सवालों के जवाब डॉक्टर से जान लेते हैं.

    नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. राकेश कुमार गुप्ता का कहना है कि दवाओं में कई तरह के केमिकल्स और अन्य कंपाउंड होते हैं, जिसकी वजह से दवाएं कड़वी हो जाती हैं. कई दवाओं में एल्कलॉइड्स जैसे- कोडीन और कैफीन, टेरपीन और कई अन्य कड़वे केमिकल्स होते हैं. ये केमिकल्स दवाओं को कड़वा स्वाद देते हैं और शरीर के विभिन्न अंगों पर असर डालते हैं. कई दवाएं प्लांट कंपाउंड्स से बनाई जाती हैं और कई दवाएं इंडस्ट्रीज में बनाए गए केमिकल्स से बनती हैं. यही वजह है कि दवाएं कड़वी होती हैं.

    डॉक्टर राकेश गुप्ता के मुताबिक कुछ दवाओं का स्वाद बेहतर बनाने के लिए उनमें शुगर मिलाई जाती है. कई दवाओं पर शुगर की कोटिंग की जाती है, जिससे इन टेबलेट्स का स्वाद मीठा हो जाता है. इसे शुगर कोटिंग कहा जाता है. हालांकि अधिकतर दवाओं पर यह कोटिंग नहीं होती है और इसकी वजह से स्वाद कड़वा ही रह जाता है. दवा के भीतर मौजूद कड़वे यौगिकों का मेटाबोलिज्म भी इसके स्वाद को प्रभावित करता है. प्राकृतिक हर्बल दवाएं भी अक्सर कड़वी होती हैं क्योंकि इनमें प्राकृतिक यौगिक होते हैं, जिनका स्वाद कड़वा होता है.

    हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि जो दवाएं हद से ज्यादा कड़वी होती हैं, उन्हें कैप्सूल के फॉर्म में बना दिया जाता है. कैप्सूल की ऊपरी परत सॉफ्ट जिलेटिन की होती है और पेट के अंदर जाकर यह परत घुल जाती है. इसकी वजह से लोग कड़वी से कड़वी दवाओं को आसानी से खा लेते हैं. इससे शरीर में जरूरी कंपाउंड पहुंच जाते हैं और तबीयत ठीक होने लगती है. अगर आप कड़वी दवा नहीं ले पा रहे हैं, तो शहद में मिलाकर खा सकते हैं. पहले के जमाने में कई दवाएं शहद में मिलाकर दी जाती थीं, ताकि लोग उन्हें आसानी से ले सकें.

    Share:

    CAS के फैसले पर पीटी उषा ने जताई निराशा, अब क्या करेंगी स्टार रेसलर विनेश फोगाट?

    Thu Aug 15 , 2024
    नई दिल्ली। विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के लिए पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics.) एक बड़ा झटका लेकर आया है. 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य करार दिए जाने के बाद, जॉइंट सिल्वर मेडल (Joint Silver Medal) के लिए उनकी अपील को भी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) ने खारिज कर दिया है. CAS […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved