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    मोहन यादव ने एक तीर से कई निशाने साध लिए

  • August 13, 2024

    • आठ महीने बाद मंत्रियों को जिलों का प्रभार
    • दिग्गजों के साथ ही विधायकों के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए इंदौर खुद के पास रखा
    • विजयवर्गीय को सोची-समझी रणनीति के तहत धार और सतना का प्रभार दिया

    इंदौर, विशेष संवाददाता। सरकार के गठन के आठ महीने बाद मंत्रियों के बीच कामकाज के लिए जिले बांटकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। इंदौर का प्रभार अपने पास रखकर मुख्यमंत्री ने यह संकेत भी दे दिया है कि वे यहां के दिग्गज नेताओं और विधायकों के बीच तालमेल से काम करना चाहते हैं। मंत्रियों के प्रभार वाली सूची में सबसे ज्यादा चर्चा कैलाश विजयवर्गीय को लेकर हो रही है। यह माना जा रहा था कि उन्हें भोपाल या उज्जैन के साथ ही किसी एक और बड़े जिले का प्रभार दिया जाएगा। सोमवार रात जारी सूची में विजयवर्गीय को जो दो जिले आवंटित किए गए हैं उनमें से एक भी संभागीय मुख्यालय वाला नहीं है। उन्हें सतना और धार का प्रभार दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक विजयवर्गीय को धार का प्रभार एक सोची-समझी रणनीति के तहत सौंपा गया है। यहां नेता प्रतिपक्ष होने का फायदा लेकर उमंग सिंगार नौकरशाही को दबाव में ले लेते हैं।

    जिले के अन्य कांग्रेस विधायकों को भी उनका साथ मिल जाता है। यहां के भाजपा नेताओं के बीच तालमेल बैठना भी टेढ़ा काम है। इसी पर नियंत्रण के लिए विजयवर्गीय को धार का प्रभारी बनाया गया है। जिले के भाजपा कोर ग्रुप ने भी मुख्यमंत्री से इस बारे में आग्रह किया था। मुख्यमंत्री की मंशा तो विजयवर्गीय को झाबुआ का भी प्रभारी बनाने की थी, लेकिन उन्होंने एक साथ दो आदिवासी जिलों की कमान संभालने में असमर्थता जता दी थी। सतना में भाजपा में भयंकर गुटबाजी है और तमाम कोशिशों के बावजूद यहां के नेता मानने को तैयार नहीं हैं। सांसद गणेश सिंह और विधायकों के बीच भी पटरी नहीं बैठ पा रही है और संगठन भी छिन्न-भिन्न है। इसी के चलते वहां की जिम्मेदारी विजयवर्गीय को सौंपी गई है, ताकि सभी के बीच तालमेल बैठाकर काम किया जा सके।


    सोमवार रात जारी सूची से यह संकेत भी मिलता है कि मुख्यमंत्री इंदौर में सारे सूत्र अपने हाथों में रखना चाहते हैं। यहां भी भाजपा में काफी गुटबाजी है। इंदौर के तीन भाजपा विधायक उषा ठाकुर, मालिनी गौड़ और मनोज पटेल की विजयवर्गीय से पटरी नहीं बैठ रही है। महेंद्र हार्डिया और मधु वर्मा की अपनी अलग-अलग राह है। रमेश मेंदोला और गोलू शुक्ला खुलकर विजयवर्गीय का साथ देते हैं। इन सबके बीच तालमेल न होने के कारण कई काम प्रभावित होते हैं। अब मुख्यमंत्री के इंदौर का प्रभारी होने के कारण नौकरशाही तो सतर्क रहेगी ही, स्थानीय नेताओं को भी उनके हस्तक्षेप के चलते तालमेल बैठाकर काम करना पड़ेगा।

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