हैदराबाद। भारत (India) 2047 तक 55 लाख करोड़ डॉलर (55 trillion USD) की अर्थव्यवस्था (economy) बन सकता है। इसके लिए केंद्र (Center) और राज्यों (State) को जरूरी नीतियां लागू कर वृद्धि दर को 8 फीसदी (growth rate to 8 per cent) तक ले जाना होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन (Krishnamurthy V Subramanian) ने सोमवार को कहा, यह लक्ष्य दुस्साहसी लग सकता है, लेकिन चक्रवृद्धि की शक्ति के जरिये इसे हासिल करना संभव है। सुब्रमण्यन ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया ऐट 100’ के अनावरण पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, देश का निजी कर्ज एवं जीडीपी अनुपात 2020 में 58 फीसदी था। यह उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से करीब छह दशक पीछे है और ये देश अब 200 फीसदी पर हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री जन-धन जैसी योजनाओं के जरिये वित्तीय समावेशन के मामले में अभूतपूर्व काम किया जा रहा है।
72 के नियम से हासिल होगा लक्ष्य
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके सुब्रमण्यन ने कहा, मेरी धारणा ‘72 के नियम’ पर आधारित है। इसके मुताबिक, डॉलर के संदर्भ में 12 फीसदी की वृद्धि दर (आठ फीसदी जीडीपी वृद्धि और पांच फीसदी महंगाई को जोड़ने के बाद डॉलर के मुकाबले रुपये में एक फीसदी का ह्रास) होने पर जीडीपी हर छह साल में दोगुनी हो जाती है।
सुब्रमण्यन ने कहा, 2023 से अगले 24 साल की अवधि में 3.25 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था ‘चार बार दोगुनी’ होगी। इससे यह 2047 तक 52 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच जाएगी।
जापान का उदाहरण
आईएमएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने जापान का उदाहरण देते हुए कहा, वहां की अर्थव्यवस्था वर्ष 1970 में 215 अरब डॉलर की थी, जो 25 साल में 25 गुना बढ़कर 1995 में 5.1 लाख करोड़ डॉलर हो गई। इस अवधि के दौरान जापान की प्रति व्यक्ति आय भी 2,100 डॉलर से बढ़कर 44,000 डॉलर पहुंच गई।
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