नई दिल्ली: कांग्रेस नेता (Congress leader) और विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Hindenburg Research Report) के आधार पर सेबी पर सवाल उठाए हैं. इसके जरिए उन्होंने केंद्र सरकार को घेरा है. राहुल गांधी ने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले रेगुलेटर सेबी की ईमानदारी को उसके अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों ने गंभीर रूप से ठेस पहुंचाई है.
राहुल गांधी ने कहा कि देश भर के ईमानदार निवेशक सरकार से सवाल पूछ रहे हैं, “सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया?, अगर निवेशक अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा- प्रधानमंत्री मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडानी?, सामने आए नए और बेहद गंभीर आरोपों के मद्देनजर, क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा?”
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इससे पहले कहा कि अडानी महाघोटाला सामने आया है. उन्होंने कहा कि इससे पहले जब तमाम आरोप लगे तो मामला सेबी के पास गया लेकिन कुछ नहीं हुआ. सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि अब मालूम पड़ा कि उस फंड में खुद सेबी अध्यक्ष का निवेश था. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इसका कनेक्शन विनोद अडानी से है, जो गौतम अडानी के भाई हैं. उन्होंने कहा कि बुच कपल ने सिंगापुर में निवेश किया था. रिपोर्ट के हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह निवेश 2017 और 2022 के बीच किया गया, और ये तब हुआ जब माधबी बुच सेबी की फुल टाइम सदस्य थीं, और सिंगापुर की कंपनी में उनका 100 फीसदी स्टेक था.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बुच ने गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी से जुड़ी ऑफशोर संस्थाओं से जुड़े फंड में निवेश किया था. सुप्रिया श्रीनेत के मुताबिक, रिपोर्ट में अगोरा कंसल्टिंग का जिक्र किया गया है, जो कि माधबी बुच के स्वामित्व वाली एक फर्म है. इस कंपनी को भारत में भी खूब बिजनेस मिला है. रिपोर्ट में उनके अगोरा की मालिक बनने से लेकर सेबी के प्रमुख बनने तक पर चर्चा की गई है, और इस बात की भी चर्चा की गई है कि कैसे बुच ने अपने पति को कंपनी का नेतृत्व सौंप दिया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के हवाले से सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सेबी चीफ के पति ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार हैं, और वह REIT (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) को प्रमोट करते हैं. कांग्रेस ने कहा कि रिपोर्ट में बुच के ऑफशोर निवेश, उनकी कंसल्टिंग फर्म अगोरा और ब्लैकस्टोन के बीच मिलीभगत का जिक्र किया गया है. कांग्रेस ने पूछा कि अब मुख्य सवाल यह है कि क्या माधबी बुच सेबी प्रमुख के रूप में बनी रहेंगी? उन्होंने कहा, क्योंकि रिपोर्ट रेगुलेटर की विश्वसनीयता को कम करती है और इससे प्रधानमंत्री की ईमानदारी को भी नुकसान हो रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता ने इसके साथ ही कई सवाल भी उठाए. सुप्रिया श्रीनेत ने पूछा कि क्या बुच ने 2015 में विनोद अडानी से जुड़े आईपी प्लस 1 फंड में निवेश किया था?
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि उन्होंने हिस्सेदारी कब खरीदी और अपने पति को कब हस्तांतरित किया? उन्होंने पूछा कि जब वे सेबी में फुल टाइम निदेशक थीं, तो क्या उन्होंने अपने पास मौजूद फंड और अगोरा कंसल्टिंग का खुलासा किया था? सुप्रिया श्रीनेत ने पूछा कि कौन सी कंपनियां अगोरा कंसल्टिंग को कारोबार दे रही हैं और कौन सी संस्थाएं अभी भी कारोबार दे रही हैं? क्या उन्होंने सेबी को बताया है कि उनके पति ब्लैकस्टोन का हिस्सा हैं, जो कि REITs में एक प्रमुख खिलाड़ी है? क्या उन्होंने अडानी, ब्लैकस्टोन या उनसे जुड़ी कंपनियों के साथ सीधी बैठकें की हैं?
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इससे पहले कहा, “पिछले कुछ सालों से जब भी संसद सत्र शुरू होता है, एक विदेशी रिपोर्ट जारी हो जाती है. संसद सत्र से ठीक पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जारी की गई. संसद सत्र से ठीक पहले जनवरी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई. ये सभी घटनाक्रम संसद सत्र के दौरान होते हैं.” बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “विपक्ष के विदेश से ऐसे संबंध हैं कि वे भारत के हर संसद सत्र के दौरान अस्थिरता और अराजकता पैदा करते हैं. वे भ्रम पैदा करके भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करना चाहते हैं. अब वे सेबी पर हमला कर रहे हैं. कांग्रेस पिछले 30-40 सालों से हमेशा विदेशी कंपनियों के साथ क्यों खड़ी है? वह यूनियन कार्बाइड के साथ क्यों खड़ी थी?”
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved