- पिछले साल भी वन विभाग ने 35 सांपों को मुक्त कराकर जंगलों में छुड़वाया था
- इस बार भी शहरभर में सक्रिय रहेगी टीमें, कॉलोनियों में भी पहुंचेंगे
इंदौर। आज नागपंचमी (Nag Panchami) है और उज्जैन (Ujjain) के नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple) में भारी भीड़ सुबह से लग गई, जो साल में एक बार ही खुलता है। दूसरी तरफ इंदौर (Indore) के मंदिरों में भी आज विशेष श्रंगार किया गया और श्रद्धालुओं ने बाम्बी पूजन (Bambi Pooja) से लेकर नाग देवता के दर्शन भी कर रहे हैं। हालांकि अब पिलाओ नाग को दूध के स्वर शहर में सुनाई नहीं देते, क्योंकि वन विभाग नागपंचमी के दिन सपेरों को पकडऩे के लिए टीमें तैनात कर देता है। आज भी तीन टीमें शहरभर में सक्रिय रहेंगी। पिछले साल भी सपेरों के चंगुल से 35 सांपों को इन टीमों ने अपने कब्जे में लेकर जंगलों में छुड़वाया।
विशेषज्ञों का भी मानना है कि सांप दूध नहीं पीता है और उसे नागपंचमी के दिन सपेरों द्वारा जबरन पकड़ लिया जाता है, जिससे भारती वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन भी होता है। विगत वर्षों में कई पशु प्रेमी इन सब चीजों के लिए लड़ते रहे हैं और अब कानूनी रूप से भी वन विभाग को कार्रवाई भी करना पड़ती है। आज नागपंचमी पर भी वन विभाग ने सपेरों को पकडऩे के लिए तीन विशेष टीमों का गठन किया है, जो शहरभर में घूमेंगी और कॉलोनियों में भी पहुंचेगी। वहीं नागरिकों से भी अनुरोध किया गया कि वे भी इस संबंध में सूचना दें। डीएफओ महेन्द्र सोलंकी के मुताबिक सांपों के प्रति क्रूरता की जाती है, जिसके चलते उन्हें सपेरों से मुक्त करवाकर जंगलों में छोड़ा जाता है। दरअसल, नागपंचमी के लिए ये सपेरे इन सांपों को जंगलों से पकड़ लाते हैं और फिर अपनी टोकनी और थैलियों में बंद कर देते हैं और जबरन दूध भी पिलाया जाता है। गत वर्ष भी नागपंचमी के दिन 35 सांपों को सपेरों से जब्त कर जंगलों में छुड़वाया था। हालांकि पुरानी मान्यता के चलते अभी भी नागपंचमी को दूध पिलाने से लेकर पूजा तो की ही जाती है, वहीं नाग मंदिरों में भी भीड़ रहती है।