नई दिल्ली । देश (Country)में बढ़ते मधुमेह यानी डायबिटीज की बीमारी (Diabetes disease)को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है और शीर्ष न्यायालय (apex court)से डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर फ्रंट-ऑफ-पैकेज वार्निंग लेबल्स (FOPL) को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। यानी सभी तरह के पैकेज्ड फूड के ऊपर शुगर और फैट की जानकारी देना अनिवार्य करने की गुहार लगाई गई है, ताकि लाखों लोगों को मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी से बचाया जा सके। इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि कोर्ट FOPL का कड़ाई से पालन करने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दे।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई अब 27 अगस्त को होगी। इस पीठ में सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। ये याचिका “3एस एंड अवर हेल्थ सोसाइटी” नामक संस्था ने एडवोकेट राजीव शंकर द्विवेदी के माध्यम से दाखिल की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जनहित याचिका में सभी तरह के डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के ऊपर डिटेल लेबल की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है और मांग की गई है कि पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल शुगर, नमक और सैचुरेटेड फैट की मात्रा को स्पष्ट रूप से उसके डब्बे पर इंगित किया जाय। याचिका में तर्क दिया गया है कि इस तरह की सूचना उपभोक्ताओं को पैकेज्ड खाद्य पदार्थ चुनने में सशक्त बनाएंगे। इससे लोगों में मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों (NCD) के प्रसार को कम करने में मदद मिल सकेगी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसी जानकारी डिब्बे के ऊपर होने से मोटापे, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी जटिलताओं और बीमारियों से जूझ रहे लोग सचेत हो जाएंगे और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि स्पष्ट FOPL, विशेष रूप से व्याख्यात्मक लेबल, गैर-साक्षर आबादी के लिए भी प्रभावी हो सकता है। दावा किया गया है कि जंक फूड की खपत पर अंकुश लगाने के लिए इस तरह के उपाय कई देशों में सफलतापूर्वक किए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि सर्वेक्षण बताता है कि महिलाओं में मोटापा 2015-16 में 20.6 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 24 प्रतिशत हो गया है। पुरुषों में भी यह 18.4 प्रतिशत से बढ़कर 22.9 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा याचिका में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) की स्टडी का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि जून 2023 तक, भारत में लगभग 10.1 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित थे, जबकि 13.6 करोड़ प्रीडायबिटीज से पीड़ित हैं। देश में 31.5 करोड़ लोग हाई ब्ल़ प्रेशर से और 25.4 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त हैं।
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