नई दिल्ली। शेख हसीना सरकार (Sheikh Hasina government) गिरने के बाद बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं (Hindus) पर हो रहे अत्याचार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen- AIMIM) के एक नेता ने ‘कर्म का फल’ बताया है। वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने गुरुवार को बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के जाने के बाद हिंदू विरोधी हिंसा को ”बदला लेने वाला हमला” करार दिया। हालांकि, दुनिया भर के लोगों द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों पर आलोचना किए जाने के बाद अमेरिकी मीडिया हाउस ने अपनी हेडलाइन बदली है।
खुद को एआईएमआईएम दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बताने वाले डॉ. शोएब जामेई ने कहा कि फिलिस्तीन और रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार का मजाक उड़ाने वाले लोग आज अब दुखी और चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इसे कर्म का लौटकर आना कहते हैं। शोएब का यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जामेई ने मंगलवार को अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह कहते हैं कि जो नफरत बोया जाता है वह लौटकर आता है।
उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश में पिछले दिनों जो घटनाएं घटीं, उसके बाद हमारे देश में एक गिरोह भारत के सांप्रदायिक माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहा है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जब फिलिस्तीन में मजलूमों पर जुल्म हो रहा था, एक बड़ी सुपरपावर छोटे से गाजा पर बम बरसा रही थी तो भारत के मुसलमानों और लिबरल लोगों ने उनका समर्थन किया, तब यही गिरोह भारत के मुसलमानों को देशद्रोही और क्या-क्या कह रहा था। इसको कहते हैं कर्म, कर्म लौटकर आता है। यह समझाया जाता है कि जो नफरत तुम बो रहे हो वह पलटकर आएगा।’
एआईएमआएम नेता ने कहा कि बांग्लादेश में सभी हिंदुओं को नहीं बल्कि सिर्फ आवामी लीग से जुड़े हिंदू नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश में जो हालात बने हैं। हालांकि, वहां सिर्फ आवामी लीग के जो हिंदू नेता थे उन पर हमले हुए या उनके समर्थकों पर हुए। खासतौर पर हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है यह ऐसा नहीं है। इसके बावजूद जो कुछ हो रहा है गलत हो रहा है। अब उस दर्द का अहसास हो रहा है ना आपको, भारत के हिंदू भाइयों को बांग्लादेश के हिंदुओं की चिंता है और होनी भी चाहिए, तो फिर भारत के मुसलमानों को रोहिंग्या मुसलमान और फिलिस्तीन के मुसलमानों की चिंता क्यों नहीं होनी चाहिए। यह दोहरा रवैया क्यों? जब तुम्हारे ऊपर पड़ी तो बिलबिला गए, बौखला गए, चिंता कर रहे हो, ट्रेंड चला रहे हो। तो फिर किसी दूसरे देश में मुसलमानों पर जुल्म होता है तो हमें भी (समर्थन) करना चाहिए। इसलिए समझिए कर्म आपको हमेशा सीख देता है कि आप दूसरे के दर्द को समझेंगे तभी आपको यह बात समझ में आएगी। समय सबको सिखा देता है कि देश के अल्पसंख्यक आबादी के साथ जुल्म नहीं करना चाहिए नहीं तो समय आपको सिखा देगा।’
शोएब ने गुरुवार को पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान को भी साझा किया जिसमें सांसद ने कहा है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें चिंताजनक हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बांग्लादेश की सरकार और अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे अल्पसंख्यकों के जीवन अंग और संपत्ति की रक्षा करें।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने आलोचना के बाद बदली हेडलाइन
इधर, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की खबर पर विदेशी अखबार की खबर पर चर्चा छिड़ गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने गुरुवार को बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के जाने के बाद हिंदू विरोधी हिंसा को ”बदला लेने वाला हमला” करार दिया था। दुनिया भर के लोगों द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों पर आलोचना किए जाने के बाद अमेरिकी मीडिया हाउस ने अपनी हेडलाइन बदली है। तमिल राजनीतिक साप्ताहिक पत्रिका तुगलक के संपादक और हिंदू समर्थक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति ने भी न्यूयॉर्क टाइम्स की आलोचना की है।
1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के परिवारों के लिए 30% नौकरियों को आरक्षित करने वाली विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अशांति के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद सैकड़ों हिंदू घरों, व्यवसायों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। भारत ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विशेष रूप से चिंताजनक बात यह है कि अल्पसंख्यकों, उनके व्यवसायों और मंदिरों पर भी कई स्थानों पर हमला किया गया। भारत सरकार के दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत ने बांग्लादेश में अपने दूतावास और वाणिज्य दूतावासों से सभी गैर-जरूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकाल लिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी भारतीय राजनयिक बांग्लादेश में ही हैं और मिशन का काम कर रहे हैं। राजधानी ढाका में उच्चायोग या दूतावास के अलावा, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में भारत के सहायक उच्चायोग या वाणिज्य दूतावास हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि राजनीतिक अशांति के बीच ढाका से 199 यात्रियों और छह शिशुओं को लेकर एयर इंडिया का एक विमान बुधवार सुबह दिल्ली पहुंचा।
बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी में हिंदुओं की संख्या लगभग 8% है। ऐतिहासिक रूप से ये शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी का समर्थन करते रहे हैं। हसीना कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी वाले विपक्षी गुट के बजाय काफी हद तक धर्मनिरपेक्ष मानी जाती है।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (बीएचबीसीयूसी) ने कहा कि सोमवार से 200-300 मुख्य रूप से हिंदू घरों और प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई है। 15-20 हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया है। इन हमलों में 40 लोग घायल हुए हैं।
दुनिया के कई नेताओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की है। कैलिफोर्निया से अमेरिकी प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ और वकील रो खन्ना ने एक्स पर लिखा, “बांग्लादेशी छात्रों को पीएम हसीना के खिलाफ सिर्फ मानवाधिकारों की चिंता थी। यह अच्छा है कि वह चली गईं। लेकिन अब हिंदुओं को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा गलत है। पीएम यूनुस को कानून का शासन बनाए रखना चाहिए और हिंसा से मंदिरों या किसी भी राजनीतिक दल या धर्म के लोगों को निशाना बनाने से रोकना चाहिए।”
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