नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 अगस्त से शुरू हुई मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक (Meeting) की समाप्ति के बाद आज रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है. साथ ही आरबीआई ने चेक क्लियरेंस, डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स और यूपीआइ पेमेंट्स को लेकर भी कई अहम ऐलान किए.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक चाहता है कि बैंक चेक क्लियर करने में ज्यादा समय न लगाए. यह काम चेक लगाने के कुछ ही घंटों में हो जाए. आरबीआई ने चेक समाशोधन सिर्फ कुछ घंटों में करने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव दिया है. आरबीआई गर्वनर ने कहा, ‘‘चेक समाशोधन को दुरुस्त करने, निपटान जोखिम कम करने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से चेक ट्रंकेशन सिस्टम की वर्तमान प्रक्रिया में बदलाव का प्रस्ताव है.’’
आम तौर पर, ज़्यादातर मामलों में, चेक एक या दो व्यावसायिक दिनों के अंदर क्लियर हो जाता है. चेक क्लियर होने में लगने वाला समय, जमा की गई रकम, चेक के प्रकार, बैंक और जमा करने की विधि पर भी निर्भर करता है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों को रिपोर्ट हर पखवाड़े देने का प्रस्ताव भी दिया है. वर्तमान में महीने में एक बार रिपोर्ट दी जाती है. आरबीआई चाहता है कि यह रिपोर्ट महीने में दो बार दी जाए. बैंको से मिली रिपोर्ट के आधार पर ही क्रेडिट सूचना कंपनियां किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर बनाती हैं. सिबिल स्कोर बैंक से लोन लेने में अब अहम भूमिका निभाता है.
आरबीआई ने अनधिकृत कंपनियों की जांच के लिए डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े तैयार करने का प्रस्ताव भी दिया है. रिजर्व बैंक फर्जी डिजिटल लैंडिंग प्लेटफॉर्म से निपटने के लिए पब्लिक रेपोस्टरी बनाने की योजना बना रहा है. यह नियामक संस्था डिजिटल लोन ऐप्स की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करेगी और अपनी रिपोर्ट आरबीआई को देगी.
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