नई दिल्ली (New Delhi)। पश्चिम बंगाल(West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee)ने बांग्लादेश (Bangladesh)में जारी अशांति और सत्ता परिवर्तन(Power change) के बीच देशवासियों से शांति(Peace with countrymen) बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार केंद्रीय सरकार द्वारा लिए गए फैसले का समर्थन करेगी। ममता बनर्जी ने बंगाल के लोगों से भी शांति बनाए रखने की अपील की। साथ उन्होंने किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं देने का आग्रह किया है।
बताया, “मैं बंगाल के लोगों से अपील करती हूं कि वे शांति बनाए रखें। किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। यह दो देशों के बीच का मामला है, हम केंद्रीय सरकार द्वारा लिए गए किसी भी फैसले का समर्थन करेंगे।”
बता दें ममता बनर्जी का बयान तब आया जब, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वहां के मौजूदा हालातों के मद्देनजर इस्तीफा दिया। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में पिछले महीने से जारी विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है, जिसमें अब तक कम से कम 300 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर भारत भी नजर बनाए हुए है। भारत और बांग्लादेश की सीमा की लंबाई 4,096.7 किलोमीटर है, जो भारत की किसी भी अन्य पड़ोसी देश के साथ सबसे लंबी सीमा है।
क्यों आए बांग्लादेश में ऐसे हुए
बांग्लादेश में हाल ही में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत नौकरी कोटा बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश ने देश में गंभीर तनाव पैदा कर दिया है। बता दें 170 मिलियन की जनसंख्या वाले इस देश में लगभग 32 मिलियन युवा बेरोजगार हैं। छात्रों ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए इस कोटा को समाप्त करने की मांग की है और इसके खिलाफ व्यापक विरोध किया।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों की इस मांग को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया और चल रही अदालती कार्यवाही का हवाला देते हुए विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों को ‘रजाकार’ करार दिया। उल्लेखनीय है कि ‘रजाकार’ उन लोगों को कहा जाता था जिन्होंने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ सहयोग किया था। उनकी टिप्पणियों ने विरोध प्रदर्शन को और उकसाया, जिससे ढाका विश्वविद्यालय में हजारों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया।
इस तनाव ने देशभर में घातक और व्यापक नागरिक अशांति को जन्म दिया, जिसमें 120 से अधिक लोगों की जान चली गई। बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने अंततः नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया, लेकिन इसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया।
वहीं प्रधानमंत्री हसीना ने विरोध प्रदर्शन को आतंकवादी गतिविधि करार देते हुए इन तत्वों को सख्ती से दबाने का निर्देश दिया। बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, शेख हसीना ने एक सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक भी बुलाई। जिसमें सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस, आरएबी, बीजीबी और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने भाग लिया। बांग्लादेशी सरकार के इस रुख को देखते हुए प्रदर्शनकारियों के अंदर गुस्सा और भड़का दिया, जिसका नतीजा बांग्लादेश के मौजूदा हालात हैं।
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