नई दिल्ली । केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कहा कि प्रारंभ से ही (Since the Beginning) किसानों के प्रति (Towards Farmers) कांग्रेस की प्राथमिकताएं (Congress’s Priorities) गलत रही हैं (Have been Wrong) । शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस के डीएनए में ही किसान विरोध है।
उन्होंने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का मैं बहुत आदर करता हूं, लेकिन खेती के बारे में उन्होंने भारतीय परंपरा का निर्वहन नहीं किया । वे रूस गए और भारत आकर कहा कि रूस का मॉडल फॉलो करो, तब चौधरी चरण सिंह ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि भारत की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। पंडित नेहरू ने वर्षों तक प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया, लेकिन भारत को अमेरिका से आया हुआ सड़ा लाल गेहूं खाने पर विवश होना पड़ा।
कृषि मंत्री ने सदन में कहा कि मैं तो सीधे-सीधे अपनी बात कहना चाहता था, लेकिन चर्चा के प्रारंभ में हमारे विद्वान मित्र रणदीप सिंह सुरजेवाला (कांग्रेस सांसद) ने थोड़ा छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि हम किसी को छेड़ते नहीं हैं, लेकिन अगर कोई छेड़ दे तो फिर छोड़ते भी नहीं हैं। मैं वहीं से आरंभ करना चाहता हूं। उनको याद भी आए तो शकुनी याद आए। चौपड़, चक्रव्यूह इन सारे शब्दों का संबंध अधर्म से है। ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ।’ शकुनी छल, धोखे और कपट के प्रतीक थे। चौपड़ में तो धोखे से ही हराया गया था। चक्रव्यूह मतलब फेयर युद्ध नहीं, घेर के मारना। कृषि मंत्री ने कहा कि जब हम महाभारत की बात करते हैं तो हमें श्रीकृष्ण याद आते हैं। हमको तो कन्हैया याद आते हैं। जब-जब धर्म की हानि होगी, पाप बढ़ेगा, अत्याचार-अनाचार बढ़ेगा, तब-तब धर्म की रक्षा के लिए मैं बार-बार आऊंगा।
गौरतलब है कि लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चक्रव्यूह की बात कही थी। शिवराज सिंह ने कहा, “इन्होंने अनेकों बार कहा कि जैसे ही हम सरकार में आएंगे किसानों के सारे कर्ज माफ कर दिए जाएंगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उनके नेता गए थे। सभा में गिनती गिनते थे, 2 लाख तक के कर्जे 10 दिन के अंदर माफ हो जाएंगे। लोगों ने इन्हें सरकार में बिठाया और इंतजार करते रहे। लेकिन, सवा साल बीत गया, कर्ज माफ नहीं हुआ तो इन्हें सरकार से बाहर कर दिया।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि स्वर्गीय इंदिरा जी के समय जबरदस्ती लेवी वसूली का काम होता था। भारत आत्मनिर्भर नहीं हुआ। स्वर्गीय राजीव जी ने भी एग्रीकल्चर प्राइस पॉलिसी की बात जरूर की, लेकिन किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। उदारीकरण प्रारंभ हुआ, स्वर्गीय नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे, मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे, लेकिन कृषि से जुड़े उद्योगों को डी-लाइसेंससिंग नहीं किया गया। 2जी, 3जी, 4जी के घोटाले के रूप में भारत जाना गया। इस बीच जिसने सारे देश को आशा और विश्वास से भर दिया, उनका नाम था नरेंद्र मोदी। मोदी जी के नेतृत्व में प्राथमिकताएं बदलने का काम हुआ।
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