नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक्स में एक के बाद एक कई विवाद सामने आ रहे हैं। ओपनिंग सेरेमनी में हिजाब पहनने वाली एथलीट को बैन करने के बाद एक नया बवाल शुरू हुआ है। गुरुवार को ये बवाल एक बॉक्सिंग मैच में सामने आया। जहां इटली की एक महिला बॉक्सर महज 46 सेकंड में रिंग छोड़कर भाग गई। इटली की बॉक्सर एंजेला कैरिनी का मुकाबला अल्जीरिया की जेंडर चेंज कराने वाली बॉक्सर इमान खलीफ के साथ 66 किग्रा वेल्टरवेट में हुआ।
ये विवादास्पद मुकाबला मात्र 46 सेकंड बाद ही रोक दिया। बॉक्सर का आरोप है कि उसका मुकाबला ‘लड़के’ वाली क्षमताओं के बॉक्सर से करा दिया गया। ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे की भी एक खास वजह सामने आई है। दरअसल, पेरिस ओलंपिक में कई ऐसे मेल एथलीट भी हिस्सा ले रहे हैं, जिन्होंने जेंडर चेंज करवाया हुआ है। उन्हें फीमेल कैटेगरी में मौका दिया गया है। पूरा बवाल इसी को लेकर है। फीमेल एथलीट्स का कहना है कि किसी पुरुष की ताकत से उनका मुकाबला कराना सही नहीं है।
इस मुकाबले में 25 साल की कैरिनी को खलीफ ने चेहरे पर पंच मारे गए। इससे उनकी नाक टूट गई और मास्क भी उतर गया। अपने कोच से सलाह लेने के बाद कैरिनी ने प्रतियोगिता छोड़ने का निर्णय लिया। जिसके बाद खलीफ को महज 46 सेकंड तक चले मुकाबले में विजेता घोषित किया गया। इस हार के बाद कैरिनी फूट-फूटकर रोने लगीं। उनका बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा- “यह बहुत दुखद था।” कैरिनी ने बताया कि उन्होंने ऐसा मुक्का कभी महसूस नहीं किया था। उन्होंने कहा कि वह वहां अपने पिता का सम्मान करने और अपने देश का प्रतिनिधित्व करने आई थीं और उनका दिल टूट गया।
खास बात यह है कि खलीफ पिछले साल जेंडर टेस्ट में फेल रही थीं। अल्जीरिया की 25 साल की खलीफ को महिला मुक्केबाजी में प्रतिस्पर्धा करने की मंजूरी दी गई है। वह महिला कैटेगरी में जगह बनाने वाली ऐसी दूसरी एथलीट हैं। हालांकि उन्हें पात्रता की शर्तों को पूरा न कर पाने के कारण पिछले वर्ष महिला विश्व चैंपियनशिप से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
इटली की हार के बाद पूरे मामले पर बवाल मच गया है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता समान स्तर पर नहीं थी। उन्होंने कहा- “मैं IOC से सहमत नहीं हूं।” एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा- मैंने इतालवी एथलीटों के साथ एक मीटिंग की है। “मुझे लगता है कि जिन एथलीटों में पुरुष आनुवंशिक विशेषताएं हैं, उन्हें महिलाओं की प्रतियोगिताओं में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।”
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