तेल अवीव: इजरायल (Israel) इन दिनों सात अलग-अलग मोर्चों (seven fronts) पर युद्ध (War) लड़ रहा है। इस कारण इजरायली सेना को भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। संसाधनों के बंटवारे और उनकी कमी ने इजरायल को परेशान कर रखा है। इसके बावजूद इजरायली सेना सभी सात मोर्चों पर मजबूती से आगे बढ़ रही है। हाल में ही लेबनान (Lebanon) में सक्रिय इजरायल समर्थक हिजबुल्लाह (Hezbollah) के हमलों में 12 इजरायली बच्चों की मौत हो गई है। इसके बाद इजरायल ने लेबनानी सीमा पर सैन्य तैनाती को बढ़ा दिया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu) ने हिजबुल्लाह को भारी कीमत चुकाने की धमकी भी दी है। उन्होंने कहा है कि उनका देश जीतकर ही दम लेगा। वहीं, इजरायल-लेबनान में युद्ध की आशंका को देखते हुए अमेरिका भी सक्रिय हो गया है।
इजरायल किन सात मोर्चों पर कर रहा संघर्ष
इजरायल एक साथ जिन सात मोर्चों पर लड़ रहा है, उनमें पहला गाजा पट्टी है। इजरायली सेना 7 अक्टूबर के बाद से ही गाजा पट्टी के अलग-अलग हिस्सों में युद्ध में है। इस युद्ध में अब तक 39 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इजरायल ने दूसरा मोर्चा वेस्ट बैंक में खोला है, जो देश के दूसरे छोड़ पर स्थित है। इसके अलावा इजरायल को सीरिया, लेबनान में हिजबुल्लाह, इराक, ईरान और यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों से मोर्चा लेना पड़ रहा है। इराक और सीरिया को छोड़ दिया जाए, तो इजरायल के बाकी सभी दुश्मन शक्तिशाली है और उसे भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
चारों ओर से दुश्मनों से घिरा इजरायल
द सन के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, कर्नल रिचर्ड केम्प ने सहमति व्यक्त की कि ईरान के जाल सात अलग-अलग थिएटरों तक फैले हुए हैं। इजरायल गाजा पट्टी पर हमास के साथ संघर्ष में बना हुआ है, क्योंकि यह आतंकवादी समूह को खत्म करने के लिए लड़ रहा है। एक अन्य मोर्चा वेस्ट बैंक है, जहां हमास और अन्य सहित मिलिशिया प्रभाव का विस्तार करने का लक्ष्य रखते हैं। लेबनान में हिजबुल्लाह को इस सप्ताह इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स में खेल के मैदान पर घातक हमले के लिए दोषी ठहराया गया था, जबकि ईरान ने सीरिया में भी अपना प्रभाव बढ़ाया है। इराक और यमन, जिनमें से हूतियों ने बाद में तबाही मचाई है, पांचवें और छठे मोर्चे का गठन करते हैं, और फिर ईरान खुद है।
इजरायल का इरादा पूर्ण युद्ध का नहीं
कर्नल केम्प इजरायली रक्षा बल (IDF) से जुड़ी एक चैरिटी चलाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इजरायल का इरादा पूरी तरह से युद्ध छेड़ने का नहीं है। लेकिन एक विस्तारित संघर्ष का भूत मंडरा रहा है। क्योंकि, हिजबुल्लाह जैसी ईरान की छद्म शक्तियां इजरायल पर हमले कर रही हैं। उन्होंने कहा: “ठीक है, बेशक, यह सात मोर्चों का युद्ध है जिस पर इजरायल अब लड़ रहा है। “उन सात मोर्चों में से प्रत्येक में इजरायल के सभी विरोधी ईरान द्वारा निर्देशित एक हेरफेर, सुनियोजित शाखा हैं। उन्होंने कहा, “ईरान ने कुछ पैमाने दिखाए हैं, मुझे लगता है कि आप इसे कार्रवाई का समन्वय करने और एक मोर्चे का उपयोग दूसरे मोर्चे पर कार्रवाई के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए कर सकते हैं।”
ईरान खुद नहीं लड़ेगा इजरायल से युद्ध
कर्नल केम्प ने कहा कि ईरान संभवतः खुद हमले करने के बजाय अपने कठपुतलियों को सशक्त बनाता रहेगा, जैसा कि उसने अप्रैल में किया था जब उसने सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे थे। उन्होंने कहा: “मुझे लगता है कि ईरान ने इससे काफी महत्वपूर्ण सबक सीखा है, सबसे पहले, उसके पास इस तरह से इजरायल को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने की क्षमता नहीं थी, क्योंकि इजरायल पर दागे गए सैकड़ों प्रोजेक्टाइल से बहुत कम नुकसान हुआ था। “ईरान अपने क्षेत्र से एक और, कहें तो, बड़े पैमाने पर हमला करने में अनिच्छुक होगा।
भारत को दो मोर्चों से खतरा
भारत दो मोर्चों पर खतरों का सामना कर रहा है। इसमें सबसे बड़ा खतरा चीन से है। चीन लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से सटे इलाकों में बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रहा है। इससे भारत के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। दूसरा मोर्चा पाकिस्तान का है। पाकिस्तान भी लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे इलाकों पर आतंकवादियों को संरक्षण दे रहा है और भारत में घुसपैठ के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इससे भारतीय सेना को अपना ध्यान दोनों मोर्चों पर लगाना पड़ रहा है।
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