नई दिल्ली: कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री तंबाकू के सेक्टर में प्रचार-प्रसार की गतिविधियों पर रोक और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों को और सख्त करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कंपनियां इस बारे में नियमों को दरकिनार करने की कोशिश कर रही हैं, जिसके मद्देनजर सरकार एफडीआई नियमों को सख्त करना चाहती है.
फिलहाल तंबाकू के सिगार, चुरूट, सिगारिलो और सिगरेट के मैन्युफैक्चरिंग में डायरेक्ट विदेशी निवेश पर रोक है. हालांकि, तंबाकू क्षेत्र में किसी तरह के टेक्नोलॉजी सहयोग में एफडीआई की अनुमति है. इसमें फ्रेंचाइजी के लिए लाइसेंस, ट्रेडमार्क, ब्रांड नाम और मैनेजमेंट के लिए डील शामिल हैं.
अधिकारी ने कहा कि तंबाकू में एफडीआई प्रतिबंधित है, और क्षेत्र की प्रचार-प्रसार गतिविधियों को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है. ऐसे उत्पादों का प्रचार करके कुछ कंपनियां एक ऐसी तंत्र बनाने की कोशिश करती हैं जहां तस्करी बढ़ती है. इंडस्ट्री प्रमोशन और आंतरिक व्यापार विभाग ने इस मुद्दे पर विभिन्न मिनिस्ट्रियों के विचार जानने के लिए एक मसौदा नोट जारी किया है.
अधिकारी ने कहा कि प्रचार गतिविधियों में प्रॉक्सी विज्ञापन, विभिन्न तरीकों से ब्रांड एडवरटाइजमेंट और ब्रांड के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है. अधिकारी ने कहा कि हम कह रहे हैं कि तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई प्रतिबंधित है और इसकी प्रचार गतिविधियों पर भी रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि कंपनियां मानदंडों को दरकिनार करने की कोशिश कर रही हैं.
मिनिस्ट्री ने 2016 में तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई पर पूरी तरह से बैन लगाने का प्रस्ताव भी पेश किया था. प्रस्ताव के तहत मिनिस्ट्री ने क्षेत्र में फ्रेंचाइजी, ट्रेडमार्क, ब्रांड नाम और प्रबंधन अनुबंधों के लाइसेंस में एफडीआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया था. हालांकि, तम्बाकू किसान संघों और कंपनियों सहित कुछ हलकों की चिंताओं के कारण सरकार इस मामले पर कोई निर्णय नहीं ले सकी थी.
घरेलू तंबाकू उद्योग पर मुख्य रूप से आईटीसी लिमिटेड का प्रभाव है. तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई का मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन की तंबाकू नियंत्रण पर संधि करने वाले देशों में से है. इस संधि के तहत संबंधित देशों पर तंबाकू उत्पादों की खपत कम करने की जिम्मेदारी है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सेवाओं, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, वाहन और फार्मा जैसे क्षेत्रों में कम निवेश के कारण 2023-24 में भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 3.49 प्रतिशत घटकर 44.42 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया. 2022-23 के दौरान एफडीआई प्रवाह 46.03 अरब डॉलर रहा था.
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