डेस्क: भारतीय छात्रों का विदेशों में पढ़ने का सपना जानलेवा साबित हो रहा है. हर साल हजारों भारतीय छात्र अलग-अलग देशों में पढ़ने के लिए देश से बाहर निकलते हैं. मगर, उनकी मौत की घटनाओं पर सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इस बीच संसद में मानसून सत्र के दौरान विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार (26 जुलाई) को लोकसभा में कहा कि पिछले 5 सालों में प्राकृतिक कारणों सहित विभिन्न कारणों से विदेश में भारतीय छात्रों की मौत की 633 घटनाएं हुईं.
संसद में मॉनसून सत्र के दौरान एक प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 172 मामलों के साथ कनाडा सबसे पहले स्थान पर रखा. कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि इस अवधि में हमलों के कारण कुल 19 भारतीय छात्रों की मौत हुई, जिनमें सबसे ज्यादा 9 मौतें कनाडा में और 6 मौतें अमेरिका में हुईं. आंकड़ों के अनुसार, 633 मौतों में से 108 अमेरिका में, 58 ब्रिटेन में, 57 ऑस्ट्रेलिया में और 37 रूस में हुईं. जबकि, यूक्रेन में 18 घटनाएं, जर्मनी में 24, जॉर्जिया, किर्गिस्तान और साइप्रस में 12-12. साथ ही पड़ोसी देश चीन में 8 ऐसे मामले सामने आए.
मोदी सरकार के मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार (26 जुलाई) को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जवाब देते हुए बताया कि मंत्रालय के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार पिछले 5 सालों में प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थितियों सहित विभिन्न कारणों से विदेश में भारतीय छात्रों की मौतों की 633 घटनाएं हुई हैं. इस दौरान विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, “विदेश में भारतीय छात्रों को सुरक्षा प्रदान करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. विदेशों में स्थित भारतीय मिशन/केन्द्र विदेशों में विश्वविद्यालयों में रजिस्टर्ड भारतीय छात्रों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखते हैं.
एक अलग प्रश्न के उत्तर में कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि पिछले 3 सालों में कुल 48 भारतीय छात्रों को अमेरिका से निर्वासित किया गया है. उन्होंने कहा, “अमेरिकी अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर निर्वासन के कारणों को शेयर नहीं किया है.” उन्होंने कहा, “अनधिकृत रोजगार, क्लॉसों से अनाधिकृत रूप से बाहर होना, निष्कासन और निलंबन, और वैकल्पिक प्रशिक्षण रोजगार की सूचना न देना कुछ ऐसे संभावित कारण हो सकते हैं, जिनके कारण छात्रों का वीजा रद्द हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उसकी अवैध उपस्थिति हो सकती है. ऐसे में उसे निर्वासित किया जा सकता है.”
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