इंदौर। शहर सहित जिले कैंसर के मरीजों की संख्या हर साल बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही। कैंसर का इलाज करने वाले सरकारी, आयुर्वेदिक , निजी अस्पतालों में हर साल लगभग 14000 कैंसर के नए मरीज इलाज कराने आते है । इनमें से 30 प्रतिशत मरीज तो मुंह , दोनों गाल , मसूड़े ,गले में कैंसर के मरीज होते हंै। कैंसर विशेषज्ञ डाक्टर्स के अनुसार इनमें से लगभग 18 प्रतिशत मरीजों की मृत्यु हो जाती है।
इसी वजह से सभी को जागरूक करने के लिए हर साल 27 जुलाई को वल्र्ड हेड एंड नेक कैंसर डे मनाया जाता है। कैंसर विशेषज्ञ के अनुसार हेड एंड नेक में यानी मुंह, गाल, गले कैंसर होने की मुख्य वजह तम्बाखू के गुटके, पाउच, बीड़ी, सिगरेट है। कैंसर से मरने वालों में सबसे ज्यादा युवा होते हैं। हालांकि इनमें से कई ऐसे मरीज भी है उन्हें जैसे ही कैंसर के लक्षण का अहसास हुआ। उन्होंने बिना देर किए डाक्टर्स को दिखा कर बीमारी का इलाज शुरू कर दिया। ऐसे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। यानी कैंसर के प्रथम स्टेज पर ही जिन्होंने इसकी मेडिकल जांचें कराकर इलाज शुरू कर दिया ऐसे मरीज कुछ महीनों में ही स्वस्थ्य हो गए।
यह है मुंह गाल गले मे कैंसर के लक्षण
कैंसर के मरीज को शुरुआत में तीखा खाने में दिक्कत होने लगती है । धीरे धीरे मुंह के अंदर सफेद निशान बनने लग जाते हैं। मुंह धीरे-धीरे कम खुलने लग जाता है और रोगी को खाना खाने में बहुत दिक्कत होती है। लगातार सेवन करने से मुंह के अंदर अथवा जीभ पर घाव बन जाता है और यह कैंसर का कारण बन जाते है।, तंबाखू का सेवन करने वाले व्यक्ति के दांत और मसूड़े धीरे-धीरे कमजोर होने लग जाते हैं, दांत जल्दी जल्दी गिर जाते हैं और मसूड़ों से खून निकलने लगता है। आगे चल कर मसूड़ों में कैंसर हो जाता है।
अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में हर साल 500 मरीज
कैंसर विशेषज्ञ अखिलेश भार्गव के अनुसार अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज, लोकमान्य नगर में हर साल लगभग 500 कैंसर के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं और उनको आयुर्वेदिक दवा के कारण बिना किसी साइड इफेक्ट के इलाज में बड़ी राहत मिलती है।
सरकारी अस्पताल में हर साल 4500 मरीज
एमवाय में संचालित सरकारी कैंसर अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर रमेश आर्य के अनुसार उनके यहां हर साल लगभग 4500 से 4800 कैंसर के मरीज इलाज कराने आते है । इनमें से 30 प्रतिशत युवा होते है । जो मुंह, गाल, गले के कैंसर से पीडि़त होते है। युवावस्था में ही मरीजों को गंभीर आपरेशन से गुजरना पड़ता है और उसके बाद भी सामान्य स्थिति नहीं बन पाती है।
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