प्रयागराज (Prayagraj)। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने रेप के आरोप से जुड़े एक मामले में आरोपी रवींद्र सिंह राठौर की जमानत मंजूर (Bail approved) करते हुए कहा है कि एक अनुभवहीन व्यक्ति के लिए सोते हुए व्यक्ति को बिना किसी परेशानी के बेहोश करना असंभव है। ऐसे में कपोल कल्पित कहानी (Fantasy story) कि एक महिला को उसके चेहरे पर क्लोरोफॉर्म (Chloroform) में भिगोया हुआ रुमाल रखकर अचानक बेहोश कर दिया गया और फिर उसके साथ रेप किया गया, पर विश्वास नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल (Justice Krishna Pahal) ने दिया है।
जस्टिस पहल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल आरोप लगाकर तब तक नहीं छीना जा सकता, जब तक कि अपराध उचित संदेह से परे स्थापित न हो जाए। कोर्ट ने मोदी के मेडिकल ज्यूरिस्प्रुडेंस एंड टॉक्सिकोलॉजी का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध जागते हुए बेहोश करना असंभव है। इसने शिकायतकर्ता के क्लोरोफॉर्म का उपयोग करके बेहोश करने के दावे पर संदेह पैदा कर दिया। कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष की कहानी की पुष्टि करने के लिए कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं थी और आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई चोट नहीं थी। न्यायमूर्ति पहल ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत अर्जी पर इस आदेश में की गई टिप्पणियों से गवाहों की गवाही के आधार पर ट्रायल कोर्ट की स्वतंत्र राय प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
रवींद्र सिंह राठौर के खिलाफ 2022 में फर्जी शादी करके शारीरिक संबंध बनाने, उसके पहले से ही दो बच्चे होने होने और क्लोरोफॉर्म का उपयोग करके उसे बेहोश करके अश्लील वीडियो रिकॉर्ड करके वायरल करने की धमकी देने के आरोप में गौतम बुद्ध नगर के दादरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर करते हुए यह भी कहा कि जमानत का उद्देश्य मुकदमे में आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित करना है। आवेदक के न्याय से भागने या न्याय की प्रक्रिया को विफल करने या बार-बार अपराध करने या गवाहों को डराने-धमकाने आदि के रूप में अन्य परेशानी पैदा करने का कोई महत्वपूर्ण विवरण या परिस्थिति नहीं दिखाई गई हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved