नई दिल्ली (New Delhi)। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court)के समक्ष एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. खुद को प्रैक्टिशनर वकील (Practitioner Lawyer)बताने वाले एक शख्स ने तमिलनाडु में वेश्यालय (Brothels in Tamil Nadu) चलाने के लिए सुरक्षा देने की मांग (demand for security)करते हुए याचिका दायर की. इससे गुस्साए कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाते हुए उससे वकालत की डिग्री मांग ली।
याचिकाकर्ता शख्स कन्याकुमारी के नागरकोइल में एक वेश्यालय चला रहा है. इस संबंध में पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इस एफआईआर को रद्द कराने के लिए उसने हाईकोर्ट का रुख कर वेश्यालय चलाने के लिए सुरक्षा की मांग की थी।
लेकिन जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए बार काउंसिल से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वह केवल प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज के ग्रैजुएट्स को ही सदस्यता दें. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा कि यह सही समय है कि बार काउंसिल को ये अहसास हो जाए कि समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा लगातार घट रही है. बार काउंसिल को कम से कम ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सिर्फ प्रतिष्ठित संस्थानों के ग्रैजुएट्स को ही सदस्यता दें।
अदालत दरअसल वकील राजा मुरुगन नाम के शख्स की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. मुरुगन ने उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने और वेश्यालय चलाने के लिए पुलिस के दखल पर रोक लगाने के लिए आदेश जारी करने के लिए याचिकाएं दायर की थी।
मुरुगन ने याचिका में बताया कि वह एक ट्रस्ट चलाता है, जिसमें वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध बनाने की काउंसिलिंग, 18 साल की उम्र से अधिक लोगों को थेरेपेटिक ऑयल बाथ जैसी सेवाएं दी जाती हैं. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि मुरुगन ने बुद्धदेव केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत संदर्भ में समझा है. हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बुद्धदेव केस के तहत ट्रैफिकिंग रोकने और सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास को सुनिश्चित किया था।
इन याचिकाओं से गुस्साए हाईकोर्ट ने मुरुगन से अपना नामांकन सर्टिफिकेट और लॉ की डिग्री पेश करने को कहा ताकि उनकी कानूनी शिक्षा और बार एसोसिएशन मेंबरशिप की जांच की सके. इस पर एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने अदालत को बताया कि मुरुगन बी-टेक ग्रैजुएट है और बार काउंसिल का सदस्य है।
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