नई दिल्ली (New Delhi)। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)की तर्ज पर पश्चिम बंगाल(West Bengal) को भी दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। बंगाल की राजनीति (Bengal politics)में तेजी से उभरने वाली पार्टी भाजपा (Party BJP)के अंदर इसकी आवाजें उठ रही हैं। हालांकि, भगवा पार्टी ने अब तक इसे’व्यक्तिगत राय’ बताया है। हालांकि, हाल की घटनाओं के बाद ऐसा लगता है कि भाजपा भी इस मामले पर अपने सांसद के साथ खड़ी है। बुधवार को केंद्रीय मंत्री और बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वे पश्चिम बंगाल के आठ जिलों को पूर्वोत्तर का हिस्सा मानें, जिनकी सीमाएं सिक्किम से लगती हैं।
बैठक के बाद मजूमदार ने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री को एक प्रस्ताव सौंपा है और उन्हें बताया कि आखिर क्यों उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर का हिस्सा माना जाना चाहिए और दोनों के बीच क्या समानताएं हैं। अगर वे मेरा प्रस्ताव स्वीकार करते हैं तो बंगाल के इस पिछड़े इलाके को केंद्र से अधिक धन मिलेगा। मेरा मानना है कि राज्य सरकार सहयोग करेगी।’
मीडिया की एक रिपोर्ट में कहा है कि यह एक सामान्य बैठक नहीं थी, बल्कि यह भविष्य में भाजपा द्वारा आधिकारिक तौर पर राज्य के विभाजन की मांग करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने मजूमदार के साथ करीब आधे घंटे बिताए, जिससे यह पता चलता है कि वे प्रस्ताव को कितना महत्व देते हैं।
मजूमदार पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। ऐसे में उनका यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण हो जाता है। वे पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष भी हैं, जिससे मांग का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है। इससे पहले मजूमदार को भाजपा सांसदों द्वारा अलग उत्तर बंगाल की कई मांगों को व्यक्तिगत राय के रूप में खारिज करना पड़ा था। दिलचस्प बात यह है कि वे बालुरघाट निर्वाचन क्षेत्र से आते हैं, जो भी उत्तर बंगाल के अंतर्गत आता है।
टीएमसी ने बताया संविधान विरोधी
टीएमसी ने इसे विभाजन और संविधान विरोधी बताया है। वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा: “उन्होंने (मजूमदार) संविधान का पालन करने की शपथ ली है। लेकिन उनकी मांग संविधान के खिलाफ है क्योंकि भारत में उत्तर बंगाल नाम की कोई भूमि नहीं है। जिन आठ जिलों को वे उत्तर बंगाल कह रहे हैं, वे पश्चिम बंगाल के अभिन्न अंग हैं। वे पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग हैं।” रॉय ने एक कदम आगे बढ़कर आरोप लगाया कि टीएमसी को चुनावों में हराने में विफल रहने के बाद भाजपा राज्य को विभाजित करने की साजिश कर रही है।
भाजपा के एक और सांसद अनंत महाराज ने उत्तर बंगाल के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग की, जिसे वे ग्रेटर कूचबिहार कहते हैं। महाराज ‘ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन’ नामक एक संगठन के प्रमुख हैं, जो कि मौजूदा पश्चिम बंगाल से उत्तर बंगाल के एक हिस्से को अलग करके उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित करना चाहता है। वे 2015 से यह मांग उठा रहे हैं।
भाजपा की ‘उत्तर बंगाल’ मांग का इतिहास
अनंत महाराज ऐसी मांग करने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं। मोदी 2.0 में पूर्व मंत्री जॉन बारला भी इसी तरह की मांग को लेकर मुखर थे। जलपाईगुड़ी में जन्मे बारला ने पहले एक अलग गोरखालैंड की मांग की थी। उन्होंने कहा था, “अत्याचारों से बचने के लिए मैंने उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग उठाई। मैं इस मामले को दिल्ली (नेतृत्व) के समक्ष उठाऊंगा।” अमित शाह के डिप्टी निशीथ प्रमाणिक ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की, लेकिन बारला की तरह अलग राज्य की मांग करने से बच गए।
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