नई दिल्ली: DRDO बालासोर जिले के अब्दुल कलाम आइलैंड (Abdul Kalam Island) से आज अलग तरह का मिसाइल परीक्षण किया (different kind of missile test) है. लॉन्च पैड थ्री से पहले पृथ्वी-2 न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल (Prithvi-2 Nuclear Ballistic Missile) दागी गई. इसके बाद इंटरसेप्टर मिसाइल AD-1 की लॉन्चिंग (Launch of interceptor missile AD-1) की गई. इसी टेस्ट के लिए बालासोर जिला प्रशासन ने दस गांवों के 10,581 लोगों को अस्थाई तौर पर शिफ्ट किया था. AD-1 एक समुद्र आधारित एंडो-ऐटमौसफेयरिक बीएमडी इंटरसेप्टर मिसाइल है. ये मिसाइल पाकिस्तान या चीन की तरफ से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को वायुमंडल के नजदीक ही नष्ट कर देगी. यानी भारत की मिलिट्री भविष्य में देश की तरफ आने वाली किसी भी मिसाइल को हवा में नष्ट कर देगी. इस मिसाइल के दो वैरिएंट्स हैं. पहला AD-1 और दूसरा AD-2.
दोनों ही मिसाइलें दुश्मन की IRBM मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकती हैं. यानी 5000 km रेंज वाली मिसाइलों को मार गिरा सकती हैं. ये मिसाइलें अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) मिसाइल जैसी रक्षा प्रणाली हैं. इस मिसाइल की स्पीड 5367 km/hr है. ये मिसाइलें दुश्मन की मिसाइलों को आता देख फायर हो जाएंगी. अपनी जमीन से 1000 से 3000 km दूर ही उनसे टकराकर उन्हें नष्ट कर देंगी. इन्हें IRBM मिसाइलों को ध्वस्त करने के मकसद से बनाया गया है. आपको बता दें कि IRBM मिसाइलों की रेंज 3 से 5 हजार किलोमीटर होती है. अगर चीन इतनी दूरी से मिसाइल दागता है तो भारतीय सेना या नौसेना उसे रास्ते में ही ध्वस्त कर देगी.
एडी-2 एक लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है, जिसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ विमानों के लो एक्सो-एटमॉस्फियरिक और एंडो-एटमॉस्फियरिक इंटरसेप्शन दोनों के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह दो चरणों वाली सॉलिड मोटर द्वारा संचालित मिसाइल है. मिसाइल का लक्ष्य तक सटीक रूप से मार्गदर्शन करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत नियंत्रण प्रणाली, नेविगेशन और गाइडेंस एल्गोरिदम से लैस है.
Prithvi-2 मिसाइल की रेंज 350 km है. इसमें 500 से 1000 kg के पारंपरिक या परमाणु हथियार लगा सकते हैं. यह दुश्मन के एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी को धोखा देने में सक्षम है. भारत की सभी मिसाइलों में सबसे छोटी और हल्की मिसाइल है. इसका वजन 4600 kg है. लंबाई करीब 8.56 मीटर है. इसमें कई तरह के हथियार लगा सकते हैं. जैसे- हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन लगा सकते हैं. पृथ्वी-2 मिसाइल स्ट्रैप-डाउन इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है. लॉन्च करने के लिए 8×8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर की मदद ली जाती है.
असल में Prithvi-2 मिसाइल का असली नाम SS-250 है. इसे भारतीय वायुसेना के लिए बनाया गया था. जबकि, पृथ्वी-1 को थल सेना और पृथ्वी-3 को नौसेना के लिए बनाया गया था. इसी मिसाइल सिस्टम को बेस बनाकर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने Pralay Missile, पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) यानी प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर का कॉन्सेप्ट बनाया. जहां तक बात रही PAD की तो ये ऐसे मिसाइल हैं, जो वायुमंडल के बाहर जाकर दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त कर सकते हैं. वह भी 6174 किमी प्रतिघंटा की गति से.
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