नई दिल्ली: शहरी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लाखों वाहन चालकों का रोजाना रेलवे क्रासिंग में फंस कर काफी समय बर्बाद होता है. इसके साथ ईंधन भी बर्बाद होता है. ऐसे लोगों के लिए राहत भरी खबर है. क्रासिंग में वाहन चालकों का समय बर्बाद नहीं होगा. इस संबंध में रेल बजट में खास घोषणा की गयी है, स्वयं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस संबंध में जानकारी दी.
देश के तमाम छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में वाहन चालकों को आवागमन के दौरान रेलवे क्रासिंग पार करनी पड़ती है. दिल्ली कोलकाता, दिल्ली मुंबई जैसे सबसे ज्यादा व्यस्त रेलवे रूटों में ट्रेनों के आने जाने का सिलसिला बराबर बना रहता है. इस वजह से इन रूटों पर पड़ने वाली रेलवे क्रासिंग कम ही समय के लिए खुलती हैं, ज्यादातर बंद रही रहती हैं. ऐसे में वाहन चालकों को लंबा इंतजार करना पड़ता है.
इन रेलवे क्रासिंग पर कई बार हादसा भी हो चुके हैं. वाहन चालकों की जरा सी लापरवाही की वजह से लोगों की जान तक चली जाती है. ऐसे हादसों को रोकने के लिए रेलवे लगातार प्रयास कर रहा है. भारतीय रेलवे की हादसों कम करने की योजना है. इस वजह से बजट में सेफ्टी पर फोकस करते हुए 1.08 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं.
इसमें ट्रैक मेंटीनेंस, सिग्नलिंग, कवच डिवाइस और लेवल क्रासिंग शामिल हैं. बजट के अनुसार लेवल क्रासिंग 705 करोड़, आरओबी व अंडर ब्रिज के लिए 9274 करोड़ रुपए, ब्रिज, टनल और अप्रोच रोड के लिए 2137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस तरह रेलवे क्रासिंग पर रेलवे ओवर ब्रिज, रेलवे अंडर ब्रिज और रेलवे अंडरपास बनाए जाएंगे.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यात्रियों की सेफ्टी रेलवे की प्राथमिकता है. यही वजह है कि बजट के एक बड़े हिस्से को सेफ्टी पर खर्च किया जाएगा. भारतीय रेलवे पूर्व में अनमैन्ड लेवल क्रॉसिंग को खत्म कर चुकी है. रेलवे की मुख्य लाइन यानी गेज पर अब एक भी रेलवे फाटक ऐसा नहीं है जो मानवरहित हो. सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है.
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