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    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब नीट के टॉपरों की घटेगी संख्या, छात्रों के कम होंगे मार्क्स

  • July 24, 2024

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी (NEET UG) को रद्द कर दोबारा कराने से इनकार कर दिया है। साथ ही शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को आदेश दिया है कि वो क्वेश्चन पेपर के विवादित प्रश्न का एक ही उत्तर (विकल्प 4) मानते हुए रिवाइज्ड रिजल्ट जारी करे। आईआईटी की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि फिजिक्स के विवादित प्रश्न का चौथा ऑप्शन ही सही माना जायेगा। अब एनटीए को जल्द ही रिवाइज्ड रिजल्ट जारी करना होगा। नीट के 4,20,774 अभ्यर्थियों ने विवादित प्रश्न का विकल्प 2 (पुराने एनसीईआरटी संस्करण का उत्तर) चुना था जबकि 9,28,379 ने विकल्प 4 (नए एनसीईआरटी संस्करण का उत्तर) चुना था। एनटीए ने परमाणु से संबंधित इस सवाल के दोनों उत्तरों को सही मानते हुए विकल्प 2 और 4 चुनने वालों को मार्क्स दिए थे। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन अभ्यर्थियों के 5 अंक कटेंगे जिन्होंने विकल्प 2 चुना था। चार अंक प्रश्न के और एक अंक नेगेटिव मार्किंग का। नीट के 4,20,774 अभ्यर्थियों के 5 अंक कटने से जाहिर है कि ऑल इंडिया रैंकिंग में बड़ा बदलाव होगा।


    टॉपर 61 से घटकर रह जाएंगे 17
    विवादित प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नीट के टॉपरों की संख्या भी घटेगी। रीटेस्ट के बाद नीट के 720 में से 720 लाने वाले 61 टॉपर हैं (रीटेस्ट से पहले 67 टॉपर थे), इनमें से 44 ऐसे हैं जिन्होंने पुरानी एनसीईआरटी बुक के हिसाब से विकल्प 2 चुना था। अब इनके 5 मार्क्स कटेंगे और इनका स्कोर 720 से घटकर 715 पर आ जाएगा। यानी टॉपर 61 से घटकर 17 रह जाएंगे।

    शीर्ष अदालत ने निर्देश पर आईआईटी विशेषज्ञों ने मंगलवार को अदालत में विवादित प्रश्न को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें ऑप्शन 4 को सही उत्तर माना गया। इसके मद्देनजर कोर्ट ने एनटीए को आदेश दिया कि वो ऑप्शन 4 को सही मानते हुए रिवाइज रिजल्ट जारी करे। उस विवादित प्रश्न का ऑप्शन 4 ही एकमात्र सही विकल्प है।

    क्या था विवाद
    सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उस छात्र की याचिका पर आया जिसका कहना था कि उसने नेगेटिव मार्किंग के डर से वह प्रश्न अटेम्प्ट नहीं किया था। विवादास्पद प्रश्न के ग्रेस मार्क्स देने के विरोध में दायर याचिका पर छात्र के वकील ने कहा कि इस अस्पष्ट प्रश्न के लिए दिए गए ग्रेस अंक के कारण 44 छात्रों को पूरे अंक मिले। याचिकाकर्ता छात्र ने कहा कि मैंने अटेम्प्ट न करने का फैसला किया क्योंकि मुझे पता था कि इसमें नकारात्मक अंक है। मैंने इस प्रश्न को छोड़कर बाकी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। मैं वर्तमान में 311वीं रैंक पर हूं। अगर मुझे इस प्रश्न के लिए चार अंक दिए जाते हैं, तो मेरी रैंक और बेहतर हो जाएगी। वकील ने मांग की थी कि प्रश्न को हटाया जाना चाहिए। कानपुर विश्वविद्यालय बनाम समीर गुप्ता मामले में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई प्रश्न अस्पष्ट है, तो उसे हटा दिया जाना चाहिए। एनटीए ने सफाई में कहा था कि उसे कई गरीब छात्रों से अनुरोध मिला था कि उन्होंने पढ़ाई के लिए अपने बड़े भाई-बहनों की पुरानी एनसीईआरटी पुस्तकों का इस्तेमाल किया।

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