इस्लामाबाद (Islamabad)। भारत (India)की राजधानी नई दिल्ली (New Delhi)से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh)के इलाके में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra)से जुड़ा एक विवाद इन दिनों सुर्खियों (days headlines)में रहा। यहां अधिकारियों ने एक आदेश जारी किया जिसमें कांवड़ यात्रा के रास्ते पर पड़ने वाली दुकानों के मालिकों का नाम लिखने को कहा गया था। कई तस्वीरें ऐसी सामने आई, जिसमें दुकानों के आगे नाम लिखकर लगाए गए थे। नाम को लेकर सियासत गरमा गई, इसे देश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाला बताया गया। कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी और बसपा सभी ने इस फैसले की आलोचना की। विरोध का असर भी हुआ और नया आदेश जारी करना पड़ा, जिसमें नाम लिखने को स्वैच्छिक कर दिया गया। ये तो हुई भारत की बात लेकिन क्या आपको पता है कि पाकिस्तान में मुस्लिम नाई हिंदुओं के बाल तक नहीं काटते हैं।
पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत
पाकिस्तान के प्रीतम दास यूट्यूबर पर व्लॉगर दास नाम से अपना व्लॉग चलाते हैं। उन्होंने पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत अपने व्लॉग में बयान की है, जिसमें पता चलता है कि किस तरह हिंदुओं को बाल काटने के लिए भी अलग नाई के पास जाना पड़ता है। उन्होंने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सादिकाबाद इलाके में कुछ मुस्लिम नाई की दुकान पर जाकर अपनी हिंदू पहचान बताते हुए अपना बाल कटवाने की कोशिश की, तो जो जवाब आए वो हैरान करने वाले थे।
मुस्लिम नाई नहीं काटते बाल
प्रीतम दास एक मुस्लिम नाई की दुकान में जाते हैं, जिसमें एक शख्स बाल काट रहा होता है, जबकि दूसरा बैठा होता है। प्रीतम दास खाली बैठे शख्स से सलाम करते हुए बताते हैं कि वह हिंदू हैं और अपना बाल कटवाना चाहते हैं तो वह सीधे उन्हें मना कर देता है। जब वह उस शख्स से इंसानियत का हवाला देते हुए जोर देकर इसकी वजह पूछते हैं तो मुस्लिम नाई कहता है कि उसे हिंदुओं के बाल काटना अच्छा नहीं लगता है। वह कहता है कि हिंदू नमाज नहीं पढ़ते, कलमा नहीं पढ़ते। जब प्रीतम दास उससे कहते हैं कि तो हिंदू अपने बाल कहां कटवाएं तो दुकानदार उन्हें हिंदू नाई की दुकान पर जाने को कहता है।
हिंदुओं से नफरत का सबूत
इस दुकान से निकलकर प्रीतम दास एक दूसरे मुस्लिम नाई के पास पहुंचते हैं और उससे भी बाल काटने के लिए पूछते हैं। हिंदू जानने के बाद उन्हें फिर से वही जवाब मिलता है। इस दुकान पर एक भी ग्राहक नहीं रहता है लेकिन अंदर बैठा नाई सिर्फ इसलिए बाल काटने से मना कर देता है कि क्योंकि दास खुद को हिंदू बताते हैं। जब दास उससे बाल न काटने की वजह पूछते हैं तो नाई यही कहता है कि उसे हिंदुओं का बाल काटना पसंद नहीं है।
इतना ही नहीं, इस दुकान पर बैठा नाई तो यहां तक कहता है कि अगर उसने किसी हिंदू का बाल काट दिया तो अपना सामान ही फेंक देगा। वह यह भी कहता है कि हिंदुओं को अपना ग्लास भी नहीं छूने देता। इसके बाद प्रीतम दास एक हिंदू नाई की दुकान पर जाते हैं, जहां कई सारे हिंदू समुदाय के लोग अपने बाल कटवा रहे थे। इस दौरान वो बताते हैं कि इस दुकान पर केवल हिंदू की बाल कटवाते हैं, यहां कोई मुसलमान बाल कटवाने नहीं आता है।
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